ज़िला प्रशासन व नगर प्रशासन, मलेरिया से वचाव हेतु निरंतर नाले की सफाई और डीडीटी का करे छिड़काव – डॉ अरविन्द वर्मा

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विश्व मलेरिया दिवस पर मच्छरों से निजात दिलाने हेतु बिहारी पॉवर ऑफ इंडिया की मांगें

ANA/S.K.Verma

खगड़िया। देश जानलेवा कोरोना वाइरस से जूझ ही रहा है। अब मौसमी बीमारी मलेरिया और डेंगू के बढने का भी खतरा होने लगा है, जिससे कोरोना और मलेरिया का कॉम्बो लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। कोरोना वायरस बेहद खतरनाक है। कोरोना संक्रमण के बीच अब लोगों को मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है।

बिहारी पॉवर ऑफ इंडिया के फाउंडर चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा

उक्त बाते, बिहारी पॉवर ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा ने विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर मीडिया से कही। उन्होंने कहा एक जगह पानी एकत्र होने से मच्‍छरों के जरिए कई तरह की संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा होता है। मलेरिया और डेंगू उन्‍हीं में से एक है। शुरुआत में यह बुखार सामान्य बुखार जैसा ही लगता है। जिसके कारण सामान्य बुखार और डेंगू के लक्षणों में फर्क समझ नहीं आता है। ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-सा दर्द होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। मच्छरों को पैदा होने से रोकें और खुद को काटने से भी बचाएं। कहीं भी खुले में पानी जमा न होने दें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवाई का छिड़काव जरूर करें। पूरी बांह की शर्ट, बूट, मोजे और फुल पैंट पहनें। डेंगू की तरह मलेरिया भी मच्‍छरों के काटने से फैलता है। यह ‘प्लाज्मोडियम’ नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है। मलेरिया मादा ‘एनोफिलीज’ मच्छर के काटने से होता है जो गंदे पानी में पनपते हैं। डॉ वर्मा ने कहा ये मच्‍छर आमतौर पर दिन ढलने के बाद सक्रिय होते हैं। पेशंट को हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है जो जानलेवा हो सकती है। मलेरिया में आमतौर पर एक दिन छोड़कर बुखार आता है और मरीज को बुखार के साथ कंपकंपी (ठंड) भी लगती है। इसके अलावा, अचानक ठंड के साथ तेज बुखार और फिर गर्मी के साथ तेज बुखार होना, पसीने के साथ बुखार कम होना और कमजोरी महसूस होना या एक, दो या तीन दिन बाद बुखार आते रहना प्रमुख लक्षण हैं। किसी भी हाल में घर में मच्छर ना होने दें। मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाएं। पानी जमा न होने दें। गड्ढों को मिट्टी से भर दें। रुकी नालियों को साफ करें। उन्होंने कहा मच्छरों को भगाने और मारने के लिए क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल आदि इस्तेमाल करें। पीने के पानी में क्लोरीन की गोली मिलाएं और पानी उबालकर पीएं। शाम के समय पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर ही बाहर निकलें। बुखार में कम-से-कम एक हफ्ते आराम जरूर करें। डॉ वर्मा ने ज़िला प्रशासन एवं नगर प्रशासन से मांग किया है कि नगर के प्रायः सभी वार्डों में गहरे नाले हैं, जिसका हर रोज निरंतर सफाई कराई जाय, नाले पर लगाए गए टूटे फूटे ढक्कन की मरम्मत कराई जाय, नाले पर ढक्कन लगाई जाय, मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करने के लिए डीडीटी का निरंतर छिड़काव कराया जाय ताकि समय रहते मलेरिया जैसे संक्रामक रोग पर नियंत्रण पाया जा सके। डॉ वर्मा ने कहा मलेरिया, एक जन स्वास्थ्य समस्या है जिसके निदान हेतु रक्त पट्टिकाओं का सूक्ष्म दर्शी से परीक्षण निहायत जरूरी है।

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