ममता, तीसरी बार मुख्य मंत्री बनी, 213 सीट जीतकर टीएमसी ने रचा इतिहास

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ममता, तीसरी बार मुख्य मंत्री बनी, 213 सीट जीतकर टीएमसी ने रचा इतिहास

कोविड 19 के कारण शपथ ग्रहण समारोह में सादगी दिखी

ANA/Santosh

कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी आज तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के तौर पर राजभवन में शपथ बंगाली भाषा में ली। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शपथ दिलाई।05 जनवरी 1955 को कोलकाता के एक सामान्य परिवार में पिता प्रोमिलेश्वर बनर्जी के घर जन्मी ममता 2011 से पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री हैं। इनकी शैक्षणिक योग्यता पोस्टग्रेजुएट इन इस्लामिक हिस्ट्री है। कोविड महामारी के चलते शपथ ग्रहण समारोह बेहद सादगी भरा रहा। समारोह के लिए पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, निवर्तमान सदन के नेता प्रतिपक्ष अब्दुल मन्नान और सीपीएम के वरिष्ठ नेता बिमान बोस को कार्यक्रम का निमंत्रण भेजा गया था। महामारी की वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया। शपथग्रहण समारोह में पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पार्टी के वरिष्ठ नेता फिरहाद हाकिम शामिल हुए. शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद ममता बनर्जी राज्य सचिवालय जाएंगी, जहां उन्हें कोलकाता पुलिस सलामी देगी। बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 213 सीट जीतकर रचा इतिहास तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है और लगातार तीसरी बार राज्य की सत्ता अपने पास बरकरार रखी है। पार्टी को 292 विधानसभा सीटों में से 213 पर जीत हासिल हुई है जो बहुमत के जादुई आंकड़े से भी कहीं अधिक है। वहीं, इस विधानसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक देने वाली बीजेपी 77 सीटों पर विजयी रही है। इसके साथ ही राष्ट्रीय सेकुलर मजलिस पार्टी के चिह्न पर चुनाव लड़ने वाली आईएसएफ को एक सीट मिली है और एक निर्दलीय प्रत्याशी भी जीत दर्ज करने में सफल रहा है। तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार 2016 के विधानसभा चुनाव से भी बेहतर रहा जब इसे 211 सीट मिली थीं। बीजेपी राज्य की सत्ता से ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को उखाड़ फेंकने में सफल नहीं हो पाई, लेकिन यह पहली बार है जब वह बंगाल में मुख्य विपक्षी दल बन गई है। बीजेपी को 2016 के विधानसभा चुनाव में महज तीन सीट मिली थीं। अपनी पार्टी की जीत से गदगद बनर्जी को हालांकि नंदीग्राम में खुद हार का सामना करना पड़ा। वह पूर्व में अपने विश्वासपात्र रहे और इस बार बीजेपी में शामिल हुए कद्दावर नेता शुभेन्दु अधिकारी से 1,956 मतों के अंतर से हार गईं।

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