देश के पांचवें प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह के खगड़िया आगमन पर समाज सेवी डॉ अरविन्द वर्मा ने की थी मुलाकात व वार्ता

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देश के पांचवें प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह के खगड़िया आगमन पर समाज सेवी डॉ अरविन्द वर्मा ने की थी मुलाकात व वार्ता

चौधरी चरण सिंह की पुण्य तिथि पर उन्हें याद किए फरकियावासी

ANA/S.K.Verma

खगड़िया। फरकिया की धरती कृषि उत्पादन बाजार समिति के प्रांगण में सन् 1979 ई० में देश के पांचवें प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह का आगमन हुआ था, उनके साथ थे बिहार के मुख्य मंत्री कर्पूरी ठाकुर और बिहार विधान सभा के विपक्ष के नेता राम लखन सिंह यादव आदि। कार्यक्रम समापन के बाद जब प्रधान मंत्री जाने लगे तब उनके हेलीकॉप्टर के निकट ही प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह से भेंट कर उन्हें फरकिया की कुछ विशेष समास्याओं से अवगत कराया था। उक्त बातें, बिहारी पॉवर ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा ने चौधरी चरण मीडिया से कही। आगे उन्होंने कहा मुझे खुशी इस बात की है कि प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह जी जाते जाते भी हम से बात किए और समस्याएं सुनी थी। उस ऐतिहासिक पल को खगड़िया स्थित रूपक स्टूडियो के फोटोग्राफर ने

कृषि उत्पादन बाजार समिति, खगड़िया के प्रांगण में प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह यादव से वार्ता करते बिहारी पॉवर ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा, साथ में बिहार के मुख्य मंत्री कर्पूरी ठाकुर तथा बिहार विधान सभा में विपक्ष नेता राम लखन सिंह यादव

अपने कैमरे में कैद किया था,जो आज भी मेरे एलबम में मौजूद है। आगे डॉ वर्मा ने कहा कहते हैं तन लड़कपन और जवानी सब बदलता जायेगा, यादगारी के लिए सिर्फ फोटो ही रह जायेगा। डॉ वर्मा ने कहा उनकी कही हुई बातें मुझे आज भी याद है, उन्होंने कहा था इस देशमें सिर्फ दो ही जातियां हैं एक अमीर और दूसरा गरीब। अमीर के स्तर को थोड़ा नीचे करो और गरीब के स्तर को थोड़ा ऊपर, अपने आप समाज में समानता आ जायेगा। डॉ वर्मा ने कहा इस समय देश में काफी समय से किसान आंदोलन चल रहा है। जब भी देश में किसानों को लेकर कोई आवाज उठती है तो उसके आंदोलन का रूप लेने से पहले ही चौधरी चरण सिंह का नाम आता है और आता रहता है। डॉ वर्मा ने कहा चौधरी चरण सिंह की याद में भारत

चौधरी चरण सिंह की याद में डाक विभाग द्वारा जारी डाक टिकट

सरकार के डाक विभाग ने 1990 में एक डाक टिकट भी जारी किया था।देश भारत के पांचवें प्रधानमंत्री के 34 वीं पुण्यतिथि है,स्वतंत्रता आंदोलन में चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 में मेरठ के हापुड़ में नूरपुर गांव में जाट परिवार में हुआ था। वैसे तो कैरियर के तौर शुरुआत उन्होंने वकालत से की लेकिन गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन में ही भाग लेते हुए वे राजनीति में प्रवेश कर गए थे। वे आजादी से पहले देश के लिए दो बार जेल भी गए। 1937 के चुनावों में यूनाइटेड प्रोविंस की लेजिस्लेटिव एसेंबली के सदस्य भी रहे थे। आगे उन्होंने कहा आजादी से पहले ही किसानों के लिए वैसे तो चरण सिंह के राजनैतिक जीवन का जब जिक्र होता है तो आपात काल के बाद के समय का होता है, लेकिन वे बहुत पहले ही किसानों की आवाज बन चुके थे। देश की आजादी के पहले ही वे जमीदारों के किसान मजूदरों के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाते रहे थे। वे किसानों कि समस्याएं सुन कर बहुत द्रवित हो जाया करते थे और कानून के ज्ञान का उपयोग वे किसानों की भलाई के करते दिखाई देते रहे थे। चौधरी चरण सिंह भारत के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल में संसद का सामना नहीं किया था।आजादी के बाद कांग्रेस के साथ 1951 में वे उत्तर प्रदेश कैबिनेट में न्याय एवं सूचना मंत्री बने। इसके बाद वे 1967 तक राज्य कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के तीन प्रमुख नेताओं में गिने जाते रहे। और भूमि सुधार कानूनों के लिए काम करते रहे। किसानों के लिए उन्होंने 1959 के नागपुर कांग्रेस अधिवेशन में पंडित नेहरू तक का विरोध करने से गुरेज नहीं किया। उस समय तक वे उत्तर भारत के किसानों के आवाज बन चुके थे। जनता घटक से भी मिली निराशा चौधरी चरण सिंह ने साल 1967 में कांग्रेस से खुद को अलग कर लिया और वे उत्तर प्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।भारतीय लोकदल के नेता के तौर पर वे जनता गठबंधन से जुड़े जिसमें उनका दल सबसे बड़ा घटक था। लेकिन राजनैतिक जानकार बताते हैं कि 1974 से वे गठबंधन में अलग थलग हो गए थे और जयप्रकाश नारायण ने जब मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री चुना तो वे बहुत निराश हुए। और फिर जब 1979 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से इस्तीफा देना पड़ा। चौधरी चरण सिंह हमेशा ही अपने क्षेत्रों के लोकप्रिय नेता हमेशा ही बने रहे और उन्होंने अपनी वह जमीन कभी नहीं छोड़ी। यही वजह से कि उनके इस्तीफे के बाद भी वे 1987 तक लोकसभा में लोकदल का प्रतिनिधित्व करते रहे और किसानों के हक की आवाज बने रहे। चौधरी चरण सिंह का प्रभाव किसानों से लेकर राजनीति के ऊंचे स्तर तक रहा करता था। उनके प्रभाव की सबसे बड़ी मिसाल यही है कि उन्हें आज भी किसानों को मसीहा माना जाता है। अंग्रेजों से कर्ज माफी का बिल पास करवाना, किसानों के खेतों की नीलामी रुकवाना, गावों के विद्युतिकरण, भूमि कानून सुधारों के लिए संघर्ष जैसे कई काम किए। उन्होंने किसानों के खातिर पुरानी पार्टी छोड़ी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार तक बनाने का काम किए, पर उनकी लोकप्रियता में कभी कमी नहीं आई।

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