कोशी के गांधी स्वo लहटन चौधरी के पद चिन्हों पर चलें, समाज का विकास होगा – डॉ अरविन्द वर्मा

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कोशी के गांधी स्वo लहटन चौधरी के पद चिन्हों पर चलें, समाज का विकास होगा – डॉ अरविन्द वर्मा

लहटन चौधरी की 18 वीं पुण्य तिथि पर कलवार सेवक समाज के चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा ने उनके द्वारा लिखे पत्र को किया प्रदर्शित

ANA /S.K.Verma

खगड़िया। कोशी के गांधी कहे जाने वाले स्वतंत्रता सेनानी, कलवार समाज के नाज, कांग्रेसी नेता एवं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री लहटन चौधरी की 18वीं पुण्य तिथि पर कलवार समाज के चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा ने उनके प्रति अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वo लहटन चौधरी गरीबों और दलितों के मसीहा थे। आगे उन्होंने कहा अपने घोर विरोधियों के साथ भी उनका व्यवहार अत्यन्त मधुर रहता था। उदाहरण देते हुए डॉ वर्मा ने मीडिया से कहा लहटन चौधरी और परमेश्वर कुंवर दोनों ही स्वतंत्रता सेनानी थे। आजादी के बाद दोनों के बीच महिषी विधानसभा क्षेत्र में दशकों तक कांटे का मुकाबला चलता रहा। इसके बावजूद उनके बीच का प्रेम कभी कम नहीं हुआ। यहां तक कि दोनों कई बार एक साथ चुनाव प्रचार भी करते नजर आए थे। 1952 में शुरू हुई थी चुनावी जंग चुनावी किस्सों के जानकार बताते हैं कि लहटन चौधरी और परमेश्वर कुंवर के बीच चुनावी जंग 1952 में शुरू हुई थी, जो कई दशक जारी रही। दरअसल, आजादी के बाद 1952 में सुपौल सीट पर लहटन चौधरी और परमेश्वर कुंवर पहली बार चुनाव मैदान में आमने-सामने आए थे, लेकिन पहली बार लहटन चौधरी के हाथ लगी थी। डॉ वर्मा ने कहा जानकारों के मुताबिक, 1957 और 1962 में आम चुनाव हुए तो धरहरा सुपौल से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर परमेश्वर कुंवर ने जीत हासिल की। इसके बाद महिषी विधानसभा गठित हुई तो 1967 में भी जीत का सेहरा परमेश्वर कुंवर के सिर ही बंधा। 1969 में लहटन चौधरी ने वापसी की और इसके बाद 1972, 1980 और 1985 में अपने बलबूते कांग्रेस का परचम लगातार लहराया। 1990 में लहटन चौधरी ने राजनीति से संन्यास ले लिया और अपने शिष्य आनंद मोहन को विरासत सौंप दी। लोग बताते हैं कि 1962 के चुनाव परिणाम के बाद लहटन चौधरी और परमेश्वर कुंवर के बीच इलेक्शन सूट का मुकदमा चला था। कहा जाता है कि दरभंगा में कोर्ट की कार्रवाई के बाद दोनों नेता एक दूसरे के साथ चाय-नाश्ता करते थे और हंसी-ठहाके लगाते थे। जब दोनों नेताओं ने एक साथ किया प्रचार जानकार बताते हैं कि एक बार चुनाव प्रचार के दौरान लहटन चौधरी की गाड़ी खराब हो गई। उसी दिन चंद्रायन में लहटन चौधरी के समर्थन में नारायण मिश्र की सभा थी, जिसमें

कलवार सेवक समाज के चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा

उनका पहुंचना बेहद जरूरी था। उस दौरान परमेश्वर कुंवर अपने समर्थकों के साथ वहां से गुजर रहे थे। लहटन चौधरी ने परमेश्वर कुंवर से अपनी गाड़ी देने को कहा। बताया जाता है कि परमेश्वर कुंवर ने एक मिनट के लिए भी कुछ नहीं सोचा और कार से अपना झंडा उतारकर गाड़ी लहटन चौधरी को दे दी। कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया तो कुंवर ने उन्हें काफी डांटा था। इसके बाद कई बार ऐसा भी हुआ कि कुंवर पैदल चुनाव प्रचार में थे और लहटन चौधरी से मुलाकात हुई तो उनकी गाड़ी में सवार होकर प्रचार करने लगे। बिहार सरकार के कृषि लघु सिंचाई, योजना विभाग के मंत्री लहटन चौधरी ने विगत 21 दिसम्बर 1989 को डॉ अरविन्द कुमार वर्मा, सह मंत्री, व्याहुत नगर समाज,खगड़िया को एक पत्र लिखा था, जिसे डॉ वर्मा ने बतौर दस्तावेज मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किया। डॉवर्मा ने आज की नई पीढ़ी के नौजवानों से अपील किया कि स्वo लहटन चौधरी के पद चिन्हों पर चलने की अवश्य कोशिश करें, जिससे समाज का भला होगा।

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