प्रभारी मंत्री मदन सहनी द्वारा जिले की बाढ़, सुखाड़ समीक्षा बैठक में डीएम के कार्यों की हुई प्रशंसा

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प्रभारी मंत्री मदन सहनी द्वारा जिले की बाढ़, सुखाड़ समीक्षा बैठक में डीएम के कार्यों की हुई प्रशंसा

बाढ़ को लेकर अक्तूबर तक रहें चौंकस – मदन सहनी, मंत्री

ANA/Arvind Verma

खगड़िया। बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री -सह-प्रभारी मंत्री खगड़िया मदन सहनी की अध्यक्षता में समाहरणालय सभाकक्ष में खगड़िया जिले में बाढ़ एवं संभावित सुखाड़ की समीक्षा की गई और आवश्यक निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष ने पुष्पगुच्छ भेंटकर मंत्री का स्वागत किया। जिलाधिकारी डॉ आलोक रंजन घोष ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से जिले में बाढ़ की वर्तमान स्थिति के साथ राहत एवं बचाव कार्यों की विस्तार से जानकारी देते हुए मंत्री को अवगत कराया कि खगड़िया जिला में बाढ़ की प्रधानता रहती है एवं जिले से कुल पांच बड़ी नदियां गंगा, बूढ़ी गंडक, कोसी, बागमती और कमला गुजरती हैं। जिले के सभी सातों प्रखंड आंशिक या पूर्ण रूप से बाढ़ से प्रभावित रहते हैं। आधे से अधिक जिला बाढ़ से प्रभावित होता है। जिले में जलजमाव की स्थिति अक्टूबर तक बनी रहती है। मानसून काल में जून के बाद बाकी सभी महीनों में कम वर्षापात हुआ है। हालांकि जिले में हुई वर्षा से बाढ़ का कोई संबंध नहीं है। जिले में 3 महीने से अलग-अलग क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। नदियों का जलस्तर भी अगस्त महीने के अंत तक खतरे के निशान से ऊपर रहा है। गंगा नदी 2016 के उच्चतम बाढ़ के स्तर से भी ऊपर चली गई थी। गोगरी नारायणपुर तटबंध टूटने की स्थिति थी, लेकिन बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल 1 के अथक प्रयासों से इसे बचा लिया गया। बागमती नदी से 4 प्रखंड, कोसी से 4 प्रखंड, बूढ़ी गंडक से 2 प्रखंड एवं गंगा नदी से 2 प्रखंड बाढ़ प्रभावित हुए हैं।जिलाधिकारी ने बाढ़ से प्रभावित पंचायतों, प्रभावित गांवों, प्रभावित वार्डों, प्रभावित जनसंख्या, विस्थापित जनसंख्या, वितरित पॉलिथीन की संख्या, वितरित फूड पैकेटों की संख्या, संचालित नावों की संख्या, जीआर राशि के भुगतान की स्थिति, संचालित सामुदायिक किचन एवं इनसे लाभान्वित लोगों की संख्या, बाढ़ प्रभावित लोगों के चलाए जा रहे स्वास्थ्य शिविरों का विवरण, पशु चारा वितरण की स्थिति, राहत शिविरों की संख्या के संबंध में भी माननीय मंत्री को जानकारी दी। बाढ़ से पूर्ण या आंशिक प्रभावित पंचायतों का विवरण इस प्रकार है- परबत्ता (1 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 9 पंचायत आंशिक प्रभावित), खगड़िया (4 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 6 पंचायत आंशिक प्रभावित), चौथम (0 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 9 पंचायत आंशिक प्रभावित), गोगरी (2 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 7 पंचायत आंशिक प्रभावित) और अलौली (4 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 2 पंचायत आंशिक प्रभावित), मानसी (0 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 3 पंचायत आंशिक प्रभावित) और बेलदौर (0 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 9 पंचायत आंशिक प्रभावित)। इस प्रकार जिले में कुल 11 पंचायत बाढ़ से पूर्ण प्रभावित एवं 45 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं। दोनों अनुमंडलों के 28-28 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।अलौली में 88, खगड़िया में 62, मानसी में 5, चौथम में 10, बेलदौर में 7, गोगरी में 49 और परबत्ता में 56 वार्ड बाढ़ से प्रभावित हुए हैं अर्थात कुल 277 वार्ड प्रभावित हुए हैं। बाढ़ से प्रभावित कुल जनसंख्या 2,48,950 है। खगड़िया प्रखंड में 67,286, अलौली में 59900, परबत्ता में 50900 और गोगरी में 37335 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। जिले में अब तक 20,337 पॉलिथीन सीट, 18054 ड्राई राशन पैकेट और 9,786 फूड पैकेट का वितरण किया गया है। कुल 65 सामुदायिक रसोइयों और 3 राहत केंद्रों से 6,27,613 बाढ़ पीड़ित व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं। बाढ़ से प्रभावित पशुओं की संख्या 23,158 है। 8 पशु चिकित्सा शिविरों के माध्यम से 7,441 पशुओं की चिकित्सा की गई। 729 क्विंटल पशुचारा का वितरण किया जा चुका है। विभिन्न प्रखंडों में कुल 37 सरकारी एवं 161 निजी नौकाओं का संचालन किया गया है। बाढ़ पीड़ितों के लिए 224 अस्थाई शौचालय एवं 142 हैंडपंप लगाए गए थे। कुल 44,961 परिवारों को जीआर राशि का भुगतान उनके खाते में कर दिया गया है। बाढ़ पीड़ितों के बीच हैलोजन टेबलेट, ओआरस पैकेट एवं अन्य दवाओं का भी वितरण किया गया। बाढ़ राहत शिविरों में 723 लोगों को डिग्निटी किट और कपड़े मानक के अनुरूप प्रदान किया गया। बाढ़ राहत शिविरों और सामुदायिक रसोइयों में बच्चों को दूध भी उपलब्ध कराया गया। बाढ़ राहत शिविरों में लोगों को कोविड टीकाकरण एवं टेस्टिंग भी कराया गया। बाढ़ राहत कार्यों में और इसकी तैयारी के दौरान जनप्रतिनिधियों का भी सकारात्मक सहयोग मिला है।जिलाधिकारी ने बताया कि बाढ़ के कारण जिले में किसी की मृत्यु नहीं हुई है। 4 पशुओं की मृत्यु हुई है और पशुपालकों को अनुग्रह अनुदान की राशि माननीया उपमुख्यमंत्री के हाथों दिलाया जा चुका है। जिले में कोविड की स्थिति भी सामान्य है। बाढ़ से पूर्व भी अनेक स्थलों पर बाढ़ संघर्षात्मक कार्य कराया गया था। चार प्रमुख तटबंध ऊपर समय पूर्व कटाव निरोधी कार्य पूर्ण करा लिया गया था। इसका परिणाम यह सामने आया कि अभी तक कहीं तटबंध क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है और ये सुरक्षित हैं। वर्तमान में बागमती नदी से कटाव ज्यादा हो रहा है। गृहक्षति के कुछ मामले सामने आए हैं।आरडब्ल्यूडी की 52 सड़कें एवं आरसीडी की 5 सड़कें बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुई हैं। 11 पुल-पुलिया भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। बिजली के 200 खंभों को बाढ़ से क्षति पहुंची है।एतमादि में कोसी नदी के बाढ़ से विद्यालय का भवन नदी में समा गई है। वहां पर विलेज प्रोटेक्शन कार्य शुरू कराया गया है। अग्रहण आदि गांव में गृह क्षति भी हुआ है। बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल एक द्वारा जंतर मंतर 249 स्थानों पर सीपेज की बारामती कराई गई इस तटबंध को रिस्टोर करने में 10 करोड़ राशि की आवश्यकता का अनुमान है। जिले में बाढ़ से कुल मिलाकर 31 करोड़ रुपए की क्षति का अनुमान है। इसमें बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल को हुई क्षति को भी जोड़ना है। जिले में जनवरी से ही एसओपी के अनुसार बाढ़ की तैयारी प्रारंभ कर दी गई थी। जन प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक करके उनका सुझाव प्राप्त किया गया था। पूर्व के बाढ़ में क्षतिग्रस्त सड़कों को मोटरेबल कराने की जानकारी भी दी गई। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान हेतु बाढ़ से पूर्व से ही प्रचार प्रसार भी कराया जा रहा है। जिलाधिकारी ने “नौका पर टीका” और बोट एंबुलेंस के बारे में भी मंत्री को जानकारी देते हुए बताया कि जो बाढ़ग्रस्त आक्राम्य क्षेत्र है, वहां इनका उपयोग टीकाकरण एवं चलंत एंबुलेंस के रूप में किया गया है।मुख्य एजेंडा फसल क्षति के आंकलन के संबंध में जानकारी देते हुए जिलाधिकारी ने बताया कि इसके वास्तविक आंकलन का प्रयास किया जा रहा है। खड़ी फसल की क्षति के साथ पानी लगने की वजह से फसल ना लगी हो, तो उसे भी फसल क्षति में शामिल करना है, लेकिन शर्त यह है कि विगत 3 वर्षों में कम से कम 1 वर्ष फसल लगी हो। अगर विगत कई वर्षों से फसल नहीं लगाई गई है तो इसे फसल क्षति में शामिल नहीं किया जाना है। जिलाधिकारी ने फसल छाती के संबंध में अनंतिम आकलन प्रस्तुत करते हुए जानकारी दी कि इसे अंतिम रूप दिया जाना है। जिलाधिकारी ने बाढ़ नियंत्रण एवं कोविड नियंत्रण हेतु जिले में किए गए कार्यों के तस्वीरें भी माननीय मंत्री जी को दिखलाईं। जिलाधिकारी ने खगड़िया शहर में ड्रेनेज प्लान नहीं होने की जानकारी देते हुए बताया कि शहर हेतु सीवरेज प्लान विभाग द्वारा स्वीकृत कर लिया गया है। राजेंद्र चौक रेलवे स्टेशन वाली सड़क की मरम्मत की जरूरत भी जिलाधिकारी ने बताई। इसी प्रकार अलौली के घाट घाट पर मोहरा घाट जाने के लिए छोटा पुल निर्माण करने की आवश्यकता भी जिलाधिकारी ने बताई। मंत्री द्वारा बाढ़ राहत के कुशल प्रबंधन पर संतोष जताते हुए कहा कि सरकार की मंशा स्पष्ट है कि सरकार के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का है। लोगों को राहत पहुंचाया गया है, जिससे स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत नाव क्रय करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने शहर में जल निकासी का तंत्र होने की आवश्यकता और जोर दिया। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा बाढ़ का पानी खगड़िया में ही रहता है कुछ जगहों पर बांध की ऊंचाई बढ़ाने के लिए प्रयास किया जाएगा। मंत्री ने जिलाधिकारी के कुशल नेतृत्व में जिला प्रशासन की टीम के कार्यों की सराहना की। बाढ़ के संबंध में अक्टूबर तक चौकस रहना है। जीआर राशि के वितरण में कोई गरीब परिवार न छूटे इसका ध्यान रखना है। सामुदायिक किचन से लोगों को मिलने वाले लाभ की उन्होंने प्रशंसा की। उन्होंने फसल क्षति का सर्वे सही तरीके से करने का निर्देश दिया। खगड़िया में जलजमाव का निदान करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री भी चिंतित रहते हैं। उन्होंने नौका पर टीका की भी सराहना की। उप मुख्यमंत्री के बाढ़ राहत समीक्षा बैठक में अलौली के रामवृक्ष सदा, सांसद एवं विधायक प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। राम बृक्ष सदा, विधायक अलौली ने बाढ़ से प्रभावित गांवों में रक्षात्मक कार्य कराने की जरूरत बताई। दोबारा बाढ़ का पानी पहुंचने वाले गांव में फिर से राहत सामग्री और ड्राई राशन के वितरण की मांग रखी। अलौली में भी पशुचारा के वितरण की मांग की। उन्होंने चनहा नाला पर स्लुईस गेट लगाने और मेघौना पंचायत के कोसी नदी के बाढ़ से प्रभावित 22 नंबर एवं 23 नंबर वार्ड में जीआर राशि के वितरण की भी मांग उठाई।समीक्षात्मक बैठक के दौरान मंत्री के हाथों कोविड महामारी से मृत 3 व्यक्तियों के आश्रितों को मृतक अनुग्रह राशि के रूप में ₹400000 का चेक प्रदान किया गया। बाढ़ राहत संबंधी इससमीक्षात्मक बैठक में जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष के अलावा अपर समाहर्ता शत्रुंजय कुमार मिश्रा, अपर समाहर्ता सह जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी भूपेंद्र प्रसाद यादव, सिविल सर्जन डॉ अजय कुमार सिंह सहित सभी जिला स्तरीय पदाधिकारी, तकनीकी विभागों के जिला स्तरीय पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचल अधिकारी भी उपस्थित थे।

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