खगड़िया सदर अस्पताल के एआरटी सेन्टर में 2500 एड्स संक्रमित मरीजों का हो रहा ईलाज

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खगड़िया सदर अस्पताल के एआरटी सेन्टर में 2500 एड्स संक्रमित मरीजों का हो रहा ईलाज

पड़ोसी जिले के मरीजों का भी खगड़िया में हो रहा है ईलाज – डॉ रंजन सिंह, नोडल पदाधिकारी

ANA/G.KUMAR

खगड़िया। हर साल 01 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली बीमारी एड्स के बारे में जागरुकता बढ़ाना है। आज के इस युग में कई स्वास्थ्य समस्याओं में से एक मुख्य समस्या बनता जा रहा है। एचआईवी संक्रमण, जो एड्स का रूप लेता जा रहा है। जागरूकता का अभाव कहा जाए या फिर जाने- अनजाने, यह बीमारी अब मजदूरों के अलावे बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों में भी देखने को मिल रहा है। हालांकि अभी भी माइग्रेंट वर्ग के लोगों में यह संक्रमण लगातार फैलता जा रहा है। लेकिन सबसे दुःख द बात यह है कि इस संक्रमण का जाल हमारे नवजात बच्चों में भी धीरे धीरे पैर पसार रहा है। सरकार के काफी कोशिशों के बावजूद भी इस संक्रमण पर ब्रेक नही लग पा रहा है। भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग नाको के नेतृत्व में पूरे देश में एचआईवी टेस्ट और ट्रीटमेंट के लिए सभी जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में इलाज की वयवस्था की गई है। इसके सफल संचालन के लिए राज्य सरकार को भी जिम्मेदारी दी गयी है ताकि संक्रमित मरीजों का इलाज निचले पायदान तक के सभी लोगों का हो सकें। मालूम हो कि साल 1986 में भारत में पहला एड्स का मामला सामने आया था। तब से लेकर आज तक भारत सरकार व राज्य सरकार इसे रोकने में काफी सक्रिय रही है। यह दिन पूरी दुनिया को इस बीमारी के खिलाफ एक जुट होकर लड़ने का मौका देता है। एड्स पहली ऐसी बीमारी थी जिसके लिए सन् 1988 में पूरी दुनिया ने एक साथ होने के लिए 1 दिसंबर को चुना। दरअसल, एचआईवी एड्स एक लाइलाज बीमारी है और इससे बचाव ही इसका एकमात्र उपचार है। हालांकि पिछले कुछ सालों से वैज्ञानिकों ने इस बीमारी का इलाज ढूंढने की कोशिश की है पर उन्हें बड़े स्तर पर सफलता नहीं मिल पाई है। अब हमारे सामने एक ही रास्ता बचता है वह है बचाव का रास्ता जो बिना सही जानकारी के संभव नहीं है। इस खतरनाक बीमारी के दुष्परिणामों को देखते हुए समाज में एचआईवी से ग्रसित लोगों से भेदभाव तो जैसे आम हो गया है। उनकी जिंदगी जो पहले से नर्क थी वह और नर्क बन गई है। दरअसल लोगों को एड्स की सही जानकारी ना होने से भेदभाव के माहौल को अधिक बल मिला है। लोगों को समझने की जरूरत है कि एड्स संक्रमित व्यक्ति के साथ खाना खाने, बैठने-उठने,या उसे छूने से नही फैलता है, बल्कि यह सिर्फ संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आने व यौन संबंध बनाने से फैलता है।

एचआईवी/एड्स होने पर निम्‍न प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं- बुखार, पसीना आना, ठंड लगना, थकान, भूख कम लगना, वजन घटा, उल्टी आना, गले में खराश रहना, दस्त होना, खांसी होना, सांस लेने में समस्‍या, शरीर पर चकत्ते होना, स्किन प्रॉब्‍लम।

इन वजहों से होता है एचआईवी/एड्स – असुरक्षित संबंध बनाने से, संक्रमित खून चढ़ाने से, HIV पॉजिटिव महिला के बच्चे में। एक बार इस्तेमाल की जानी वाली संक्रमित सुई को दूसरी बार यूज करने से, इन्फेक्टेड ब्लेड यूज करने से।

बिहार स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित बिहार एड्स कंट्रोल सोसायटी (BSACS) पटना के अनुसार अभी पूरे बिहार में 21 जिलों में एआरटी सेंटर कार्यरत है, जहां सभी संक्रिमत मरीज का इलाज किया जा रहा है। वहीं प्रत्येक जिलों में जांच की भी स्पेशल व्यवस्था है। आगे उनकी रणनीति प्रत्येक जिला मुख्यालय में एआरटी सेंटर खोलना है ताकि इलाज में कोई कमी ना हो पाए। 

खगड़िया जिला अस्पताल स्थित एआरटी सेंटर के हेल्थ काउंसलर अभिलाष ने बताया कि अभी यहाँ पर लगभग 2500 संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है। जिसका समय समय पर सीडी4 जांच व वायरल लोड भी जांच किया जाता है।  उन्होंने कहा कि यह एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी को जागरूकता लाकर ही हराया जा सकता है। ए एन एम नर्स मोनी कुमारी ने बताया कि इस संक्रमण के दौरान टीबी जैसे अवसरवादी बीमारी से सावधान रहने की जरूरत है। ऐसा नही करने पर मरीजों की जान खतरे में पड़ जाती है। जबकि नोडल पदाधिकारी डॉक्टर रंजन सिंह ने बताया कि अभी खगड़िया एआरटी सेंटर में  पड़ोसी जिला के मरीजों का भी इलाज होता है।

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