संत श्री देवराहा शिवनाथ महाराज के सान्निध में निकली भव्य शोभा यात्रा, बिहिया में

प्रभु के नाम में वाह शक्ति, जिससे दूर होता है अहंकार - शिवनाथ बाबा

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
Listen to this article

संत श्री देवराहा शिवनाथ महाराज के सान्निध में निकली भव्य शोभा यात्रा, बिहिया में

प्रभु के नाम में वाह शक्ति, जिससे दूर होता है अहंकार – शिवनाथ बाबा

ANA/Arvind Verma

आरा (बिहार)। परमपूज्य त्रिकालदर्शी, परमसिद्ध संत श्री देवराहा शिवनाथ जी महाराज के सानिध्य में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर भव्य शोभायात्रा हनुमान मंदिर से घोड़े, गाड़ी, गाजा-बाजा के साथ निकाली गई।यह भव्य शोभायात्रा बिहिया के हनुमान मंदिर से शुरू होकर स्टेशन रोड, जज बाजार, आर ओबी,राजा बाजार, डाकबंगला रोड, साहेब टोला, ब्लॉक रोड,दुर्गा मंदिर, सब्जी मंडी, राजा बाजार, आर ओबी, मेला रोड होते हुए हनुमान मंदिर आकर समापन हुआ।समापन के बाद सभी रामभक्तों को संबोधित करते हुए संतश्रीदेवराहाशिवनाथ जी महाराज ने कहा कि पवनतनय बल पवन समाना।बल,बुद्धि विज्ञान निधाना।।संतश्री ने आगे कहा कि किष्किंधा कांड के एक प्रसंग में वानर लंका जाने को लेकर अपने-अपने बल का प्रदर्शन कर रहे हैं। हनुमानजी आंखें बंद किए बैठे थे। तब जामवंतजी ने जो कहा वह हमारे लिए बहुत बड़ा संदेश है।तुलसीदासजी ने लिखा है- ‘कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना।। पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।। अर्थात हे हनुमान, आप चुप क्यों हों? आप तो बल, बुद्धि, विवेक और ज्ञान की खान हों। हनुमानजी की आंखें बंद थीं और भीतर स्वयं से भी बात नहीं कर रहे थे। जामवंत ने इसी को चुप रहना कहा है। बाहर से लोग समझेंगे कि आप चुप हैं, लेकिन भीतर मौन भी रह सकते हैं। सबसे बड़ी बाधा है हमारा मन। उसके पास ऐसी रस्सी है, जिससे वह किसी को भी, किसी से भी बांध देता है। हमें यह रस्सी काटनी होगी। फिर मन मुक्त हो जाता है। इसका अर्थ यह नहीं कि कहीं भी चला जाए। मतलब यह है कि जिन-जिन लोगों से बंधा है उनसे मुक्त हुआ। फिर वह हमारे काबू में जाता है। हम शांत हो जाते हैं। तब दूसरों की बात ठीक से समझ भी सकेंगे, अपनी बात समझा भी सकेंगे। मौन व्यक्ति द्वारा कैसे काम किए जाते हैं, बिना जुबान हिलाए कैसे बोला जा सकता है यह कला हनुमानजी सिखाते हैं। संतश्री ने आगे कहा कि बल,बुद्धि,ज्ञान-विज्ञान में हनुमानजी के समान कोई नहीं।वह अद्वितीय है।इसका एक मात्र कारण उनका अहंकारशून्य होना है। उन्हें भगवान राम के अतिरिक्त कुछ भी याद नहीं। जब उन्हें याद दिलाया जाता है कि आप तो बल,बुद्धि,विवेक,ज्ञान-विज्ञान के भंडार हैं तब उन्हें अपनी शक्ति याद आती है।संसार में तो थोड़ी सी शक्ति,धन,बल,ऐश्वर्य के आते ही लोग अहंकार से बशीभूत हो पागल हाथी की तरह व्यवहार करने लगते हैं और शीघ्र ही उनका पतन हो जाता है।प्रभु के नाम में ही वह शक्ति है जो हम सभी को अहंकार से बचा सकती है।निरहंकारी ही मौन हो प्रभु के नाम-रूप में डुबकी लगा सकता है और निरअहंकारिता की अवस्था प्रभु के नाम को रटने से ही प्राप्त होगा।वहीं इस कार्यक्रम को सफल बनाने में भगवती प्रसाद जायसवाल, बनारसी प्रसाद, मन्नू जायसवाल, नगर अध्यक्ष सच्चू गुप्ता, सहित सभी लोगों का अद्भुत सहयोग रहा।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

The specified carousel id does not exist.


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

How Is My Site?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129