अपने संपूर्ण जीवन को मंगलमय एवं शिवमय बनाएं – ज्योतिषी दिव्यांश (काशी)

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अपने संपूर्ण जीवन को मंगलमय एवं शिवमय बनाएं – ज्योतिषी दिव्यांश (काशी)

ANA/S.K.Verma

वाराणसी। प्रतिवर्ष फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। प्रायः प्रत्येक माह को कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को शिवरात्रि के रूप में ही होता है‌‌‍‌‌,परंतु फाल्गुन माह के चतुर्दशी को शिवरात्रि मात्र ना कह कर महाशिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है।पौराणिक मत के अनुसार इस दिन को शिव पार्वती विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है।भगवान भोलेनाथ को ही कोई शिवजी,कोई आशुतोष अर्थात बहुत ही जल्द प्रसन्न होने वाला कहते हैं।इन्ही को देवाधिदेव महादेव एवं संपूर्ण विश्व के नाथ विश्वनाथ के नाम से जानते हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग में वर्णित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का जयंती भी इसी दिवस को माना जाता है। ऐसे जगतगुरु भगवान भोलेनाथ का यह पर्व है महाशिवरात्रि।एक ऐसी महा रात्रि जिसका शिव तत्व से विशेष महत्व है शिव हमें काम क्रोध लोभ मोह एवं मत्सर इत्यादि विकारों से मुक्त करके परमसुख शांति एवं ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। यह पर्व इस वर्ष 18 फरवरी 2023 दिन शनिवार को मनाया जाएगा इस वर्ष बड़ा ही दुर्लभ संयोग प्राप्त हो रहा है क्योंकि शनि प्रदोष एवं महाशिवरात्रि का सुंदर योग मिला है।वर्षों बाद यह सुंदर युति प्राप्त हो रहा है। इस पर्व पर भगवान शिवको प्रसन्न कर सांसारिक सुख का लाभ प्राप्त करने के लिए बाबा को जो वस्तुएं अत्यधिक प्रिय हैं,उन्हें अर्पण करें पति पत्नी के आपसी संबंध को मधुर बनाने एवं लंबे समय तक आनंदमय जीवन का लाभ हेतु रात्रि में शिव पार्वती का वैदिक रीति-रिवाजों द्वारा विवाह संपन्न करें,आरोग्यता की प्राप्ति हेतु मृत संजीवनी शिव रुद्राभिषेक करें,लक्ष्मी एवं सुख की प्राप्ति हेतु श्रीफल अर्थात बेल का फल एवं बिल्वपत्र से शिव अर्चन एवं हवन करें,विद्या की प्राप्ति हेतु गो दुग्ध से शिव अभिषेक करें इसी प्रकार नाना प्रकार के कामनाओं की पूर्ति हेतु नाना प्रकार की औषधियों एवं जल इत्यादि से शिवार्चन करें।निष्काम भाव से शिव की कृपा प्राप्ति हेतु मानसिक रूप से बाबा का पूजन करें ध्यान में शिव को अपने हृदय अंगम करें। इस रात्रि में चारों प्रहर शिव के अभिषेक का बड़ा ही महत्व है। ध्यान देने की बात यह है कि कोई ऐसा कार्य नहीं करें जो नीति के विरुद्ध हो मदिरा एवं नशीली वस्तुओं के प्रयोग से बचें। शिव जी ने काम को भस्म कर दिया था हम सब भी शिवभक्त हैं उनकी प्रेरणा से अपने अंदर स्थित द्वेष ईर्ष्या लोभ एवं कामरूप में व्याप्त दुर्गुणों का समन् करें।शिवजी ने सती माता के द्वारा मां सीता का स्वरूप धारण करने पर उनको पत्नी रूप में स्वीकार नहीं किया ऐसा सीख दे रहे हैं की अपने दृष्टि में मातृशक्ति का स्थान सदैव सर्वोपरि है इस प्रकार शिव के द्वारा प्रशस्त मार्ग का अनुकरण कर हम भी संपूर्ण जीवन को मंगलमय एवं शिवमय करें।

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