गुरु की आवश्यकता मलिन हृदय को साफ करने के लिए – देवराहा शिवनाथ बाबा

देवराहा धाम में अष्टयाम हरिनाम कीर्तन का हुआ आयोजन

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गुरु की आवश्यकता मलिन हृदय को साफ करने के लिए – देवराहा शिवनाथ बाबा

देवराहा धाम में अष्टयाम हरिनाम कीर्तन का हुआ आयोजन

ANA/S.K.Verma

आरा। जगदीशपुर के ग्राम सियरुआँ स्थित देवराहा धाम में अष्टयाम हरिनाम कीर्तन के अवसर पर दूर दराज़ से आए आगन्तुक श्रद्धालु भक्तों को सम्बोधित करते हुए संत श्री देवराहा शिवनाथजी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार साबुन की आवश्यकता गंदे वस्त्रों की सफाई के लिए पड़ती है,ठीक उसी प्रकार गंदे या कुभाव से ग्रस्त हृदय वाले व्यक्ति को गुरु की आवश्यकता होती है।गुरु अस्वच्छ ह्रदय वाले शिष्य को हरि के नाम-स्मरण-जप में लगा देता है।परिणामतः धीरे-धीरे शिष्य का मन हरि भजन में रम जाता है और हृदय के समस्त विकारों का अंत हो जाता है।शिष्य के हृदय में नाम के साथ-साथ शनैःशनैः नामी का रूप भी आने लगता है: ‘भजिए नाम रूप बिन देखे,आवत हृदय स्नेह बिसेखे।।’नाम लेते रहने से नामी अर्थात भगवान शिष्यरूपी भक्त पर दया करने लगते हैं।जब भक्त प्रहलाद को उसके पिता द्वारा मृत्युदंड दिया जाने लगा तब प्रहलाद के नाम-स्मरण मात्र से भगवान खंभे को फाड़ प्रगट हो गए और प्रहलाद का प्राण बचा लिया।कुमार अर्जुन सहतवार, बलिया,उत्तर प्रदेश मंटू यादव चना केवटिया, और मुन्ना उपाध्याय की संकीर्तन मंडली ने कर्ण प्रिय भजनों को प्रस्तुत किया जिसे सुधि श्रोताओं ने मुक्त कंठ से सराहा। भजन सुन भक्तजन आनंदित हो गए।

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