नवरात्रि में मां भगवती की करें अराधना, बाधाओं से मिलेगी मुक्ति – ज्योतिषी दिव्यांश (काशी)

नवरात्र 22 मार्च से प्रारम्भ होकर 30 मार्च को होगा हवन के साथ समापन

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नवरात्रि में मां भगवती की करें अराधना, बाधाओं से मिलेगी मुक्ति – ज्योतिषी दिव्यांश (काशी)

नवरात्र 22 मार्च से प्रारम्भ होकर 30 मार्च को होगा हवन के साथ समापन

मां को प्यारा है पान का पत्ता, लौंग और इलाइची हर दिन करें अर्पण 

ANA/Indu Prabha

खगड़िया। हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवरात्रि के प्रथम दिन से प्रारंभ होता है इस वर्ष श्री संवत 2080 एवं चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 22 मार्च दिन बुधवार से होगा। देवी भक्त साधक श्रद्धालु एवं तांत्रिक लोग देवी कृपा प्राप्ति हेतु नवरात्रों में विशेष यज्ञ अनुष्ठान करते हैं। ज्योतिष की दृष्टि से अगर अवलोकन करें तो हमारे जीवन काल में योगिनी दशा का बहुत ही बड़ा महत्व है, उनको भी अनुकूल करने के लिए नवरात्रों में भगवती की आराधना करनी चाहिए, क्योंकि योगिनी भगवती की सेवकियां हैं, जिससे उनको अपने अनुकूल करके उनकी कृपा प्रसाद को अनुभव किया जा सकता है। उक्त बातें, अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केन्द्र परिसर में काशी (वाराणसी) के ज्योतिषी दिव्यांश ने मीडिया से कही। आगे उन्होंने कहा इस वर्ष चैत्र नवरात्र 22 मार्च 2023 दिन बुधवार से प्रारंभ होकर 30 मार्च 2023 को समाप्त होगा एवं दशमी 31 मार्च 2023 शुक्रवार को दसमी में हवन पारण इत्यादि किए जाएंगे। 30 मार्च 2023 दिन गुरुवार को श्री राम जन्मोत्सव वह दुर्गा अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा चतुर्थ कूष्मांडा पंचम स्कंदमाता षष्टम कात्यायनी सातवां कालरात्रि अष्टम महागौरी एवं नवा स्वरूप मां सिद्धिदात्री के रूप में महामाया की अर्चना उपासना करनी चाहिए। मां को पान का पत्ता, लौंग, इलाइची प्रिय होने के कारण प्रतिदिन महामाया को अर्पण करना चाहिए। श्रीमद् देवी भागवत के अष्टम स्कंध के 24 में अध्याय में श्री नारद जी द्वारा पूछने पर भगवान श्री हरि ने देवी को कौन सा नवेद लगाने पर क्या लाभ होता है उसमें बताया की प्रतिपदा को गौ घृत का नैवेद्य लगाकर उसका दान करने से रोगों का नाश होता है। इसी प्रकार द्वितीया को चीनी का भोग लगाने से दीर्घायु को प्राप्त होता है, तृतीया को गाय का दूध अर्पण करके उसका दान करने से विभिन्न कष्टों से मुक्ति मिलती है, चौथ को मालपुआ पंचमी को केला, षष्ठी को मधु सप्तमी को गुण अष्टमी को नारियल एवं नवमी को धान के लावा का भोग भगवती को लगाकर दान करना चाहिए। इस प्रकार महामाया की कृपा प्रसाद को अपने जीवन में अनुभव करके जीवन काल में आने वाली तमाम बाधाओं से मुक्ति पाई जा सकती है। मौके पर अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केन्द्र के संस्थापक महर्षि अरविन्द ने कहा कलयुग में माता रानी की विशेष कृपा पाने के लिए भक्ति भाव से निष्ठा पूर्वक पूजा पाठ और दान पुण्य करना चाहिए क्योंकि कलियुग में अब यही एक मार्ग बच गया है।

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