मुख्यमंत्री ने भगवान महावीर के 2544वें निर्वाण दिवस के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय पावापुरी महोत्सव का शुभारंभ किया

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मुख्यमंत्री ने भगवान महावीर के 2544वें निर्वाण दिवस के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय पावापुरी महोत्सव का शुभारंभ किया

पटना। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के 2544वें निर्वाण दिवस के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पावापुरी महोत्सव का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज निर्वाण दिवस है, जैन धर्म में त्रयोदशी और धनतेरस से इसकी शुरुआत होती है और दीपावली में इसका भव्य आयोजन होता है। बचपन में मां के साथ यहाॅ आया करते थे। इस अवसर पर एक वाक्या मुझे याद है कि मुझे भी एक बड़ा लड्डू प्रसाद के रुप में मिला था। यह पवित्र भूमि है। निर्वाण की भूमि है, बुद्ध और महावीर समकालीन थे, दोनों ने अपने ज्ञान से, उपदेश से बिहार को पूरी दुनिया में गौरवान्वित किया है। महावीर की एक मूर्ति जो उनके जीवनकाल में उनके भाई ने बनवायी थी, वो लछुआर पर्वत पर से चोरी हो गई थी। हमलोगों ने उसे मुस्तैदी से फिर से प्राप्त की, जिसे नीचे मंदिर में स्थापित कर दिया गया है। बाद में ऊपर पर्वत पर बनने वाले मंदिर में इन्हें पुनः स्थापित कर दिया जाएगा। इसके लिए जैन धर्म के बहुत सारे लोगों को, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुयायी हैं, उनलोगों ने भी इसके लिये आभार व्यक्त किया। वहां पर मंदिर निर्माण कराना है, उसमें जैन लोग अपना विचार करें, हमलोग रास्ता उपलब्ध कराएंगे और सुरक्षा संबंधी जरुरतों को पूरा करेंगे।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय पुनः स्थापित हुआ तो इसमें आने वाले विदेश के शिक्षक और छात्रों को ध्यान में रखते हुए पावापुरी में भगवान महावीर के नाम पर वर्द्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान बनाया गया है, जो कि भव्य है। राजगीर में क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण, स्पोर्ट्स अकादमी, आई0सी0टी0सी0 का निर्माण होने वाला है। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय मंे कनफ्लिक्ट रिजॉल्यूशन सेंटर बनेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी कुछ देर पहले जो प्रार्थना का वाचन हुआ, उसमें सारी चीजें कह दी गई हैेैं। ‘हम भेद मतों के समझे पर, आपस में कोई मतभेद न हो, जो प्रेम-प्रीत की शिक्षा दे, वही धर्म हमारा संभव हो, चिंतामणि की चिंता न करें जीवन को चिंतामणि जाने, क्षण भंगुर सुख के हेतु कभी, नहीं चित हमारा चंचल हो।’ मुख्यमंत्री ने इस पर चर्चा करते हुए कहा कि इसका आषय यह है कि अलग-अलग मतों के होने के बावजूद सबके विचारों का सम्मान करना चाहिए। सबका मंजिल एक है, चाहे आप किसी भी मत के हों इसलिए सबको एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें प्रेम-प्रीत की शिक्षा दी गई है। इसमें सब कोई प्रेम से आपस में मिलकर रहें, सद्भाव बना रहे, जियो और जीने दो के सिद्धातं पर रहना चाहिए। पृथ्वी सबकी है। पशु, पक्षी, जीव-जंतु सबका इस पृथ्वी पर अधिकार है। वैसा कर्म करें जिसमें सबका मंगल हो। भगवान महावीर के लिए जो प्रार्थना गाया गया उसका सार भी गांधी जी के विचारों में निहित है। गांधी जी ने कहा था कि पृथ्वी आपकी जरुरतों को पूरा कर सकती है, आपकी लालच को नहीं। गाॅधी जी ने सात सामाजिक पापों की चर्चा की है, इसके तहत सिद्धांत के बिना राजनीति, काम के बिना धन की प्राप्ति, विवेक के बिना सुख, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना व्यापार, मानवता के बिना विज्ञान एवं त्याग के बिना पूजा शामिल है। गांधी जी के विचार और भगवान महावीर की प्रार्थना का भाव एक ही है, जिसके प्रति मेरा समर्पण है। भगवान महावीर की स्मृति में नमन के लिए हमलोग उपस्थित हुए हैं लेकिन उनकी बातों को मन में रखना होगा, ठीक ढंग से सोचना होगा।

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