दुग्ध उत्पादकों को अधिक से अधिक अनुदान और ऋण की राशि उपलब्ध कराए सरकार – महर्षि अरविन्द

विश्व दुग्ध दिवस पर महर्षि अरविन्द ने कहा दुग्ध पान करो, सेहत बनाओ

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दुग्ध उत्पादकों को अधिक से अधिक अनुदान और ऋण की राशि उपलब्ध कराए सरकार – महर्षि अरविन्द

विश्व दुग्ध दिवस पर महर्षि अरविन्द ने कहा दुग्ध पान करो, सेहत बना

ANA/Indu Prabha

खगड़िया (बिहार)। अगर, आप अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त और तंदुरुस्त रखना चाहते हैं तो रोजाना दूध का सेवन करें। दूध का महत्व ही इतना ज्यादा है कि बिना इसके किसी भी घर की रसोई अधूरी होती है। दूध के इसी महत्व को देखते हुए पूरी दुनियाभर में हर साल दूध के लिए एक दिन को समर्पित कर दिया गया है। उक्त बातें अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केन्द्र के संस्थापक महर्षि अरविन्द ने विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर मीडिया से कही। आगे उन्होंने कहा हर साल 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस के रुप में मनाया जाता है। इसे हर साल अलग-अलग थीम के तहत मनाया जाता है। महर्षि अरविन्द ने कहा आज से 22 साल पहले साल 2001 में संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को मनाने के लिए जून की पहली तारीख का चुनाव किया। महर्षि अरविन्द ने कहा विश्व दुग्ध दिवस का महत्व ये है कि इस विशेष दिन को मनाये जाने का लक्ष्य दूध में निहित पौष्टिक तत्वों को समझते हुए इसका सेवन करना है। डेयरी क्षेत्र में रोजगार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और इसे मजबूत बनाना भी विश्व दुग्ध दिवस का उद्देश्य है। FAO के एक आंकड़े के अनुसार। 06 अरब लोग डेयरी उत्पादों का उपभोग करते हैं और 01 अरब से अधिक लोगों को डेयरी व्यवसाय आजीविका देता है। दुग्ध की खपत और डेयरी क्षेत्र में रोजगार दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में ये दिन हमें डेयरी उद्योग से संबंधित किसी भी तरह की संभावित पहल के बारे में जागरूकता बढ़ाने और समर्थन करने का अवसर प्रदान करना है। आगे महर्षि अरविन्द ने कहा आइए, हम सब मिलकर आज के दिन दुग्ध उत्पादन एवं डेयरी उद्योग में लगे तमाम लोगों के प्रति आभार प्रकट करें और उनके दीर्घायु होने की कामना करें। महर्षि अरविन्द ने सरकार से मांग किया की दुग्ध उत्पादन कार्य में अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ें ताकि उन्हें स्वरोजगार प्राप्त हो सके। इसके लिए दुग्ध उत्पादकों को सरकारी अनुदान तथा बैंकों से अधिक से अधिक ऋण की राशि उपललब्ध कराएं। गांव गांव में जागरूकता शिविर का भी आयोजन करें और तकनीकी प्रशिक्षण भी।

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