ऐतिहासिक विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले का हुआ उद्घाटन

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ऐतिहासिक विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले का हुआ उद्घाटन

हरिहर नाथ मंदिर व सोनपुर मेले के विकास एवं सौंदर्यीकरण के लिए सरकार संकल्पित है – सुशील कुमार मोदी, उपमुख्यमंत्री

ANA.

सारण।  सारण और वैशाली जिले की सीमा पर लगने वाले ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व वाले विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले का बुधवार को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उद्घाटन किया। इस साल 32 दिनों तक चलने वाला यह मेला सोनपुर आने वाले लोगों के लिए सज-धज कर तैयार है। मेले में घोड़ों की बिक्री हो सकेगी जबकि हाथियों की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा-गंडक संगम और अन्य घाटों पर स्नान के लिए बड़ी संख्या में साधु-संत, महात्मा सहित धर्मावलंबी यहां पहुंच चुके हैं। पूर्णिमा स्नान 23 नवंबर को है। ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व वाले हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले का उद्घाटन करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, सोनपुर मेले को अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहुंचाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस वर्ष मेले में आने वाले पर्यटकों की संख्या में जरूर वृद्घि होगी। हरिहर नाथ मंदिर व सोनपुर मेले के विकास एवं सौंदर्यीकरण के लिए सरकार संकल्पित है। मेले में थिअटर के नाम पर अश्लीलता परोसने की इजाजत नहीं होगी। पशुओं की बिक्री के नाम पर तस्करी करनेवालों को भी उन्होंने चेतावनी दी। 

 

उपमुख्यमंत्री ने हालांकि स्पष्ट करते हुए कहा कि पालतू घोड़ों की बिक्री पर रोक नहीं होगी और ना ही हाथियों की प्रदर्शनी पर रोक होगी, लेकिन हाथियों की बिक्री प्रतिबंधित है। पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, जनार्दन सिंह सिग्रीवाल सहित कई सांसद और विधायक उपस्थित थे। मेले में खेल, तमाशों सहित कई मनोरंजक कार्यक्रमों की इस बार भरमार देखी जा रही है।  पशुओं के क्रय-विक्रय और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्घ इस मेले में पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा पर्यटकों के आने की संभावना है। मेले को लेकर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। मेले में सैलानियों के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है। विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने के लिए 20 स्विस कॉटेजों का निर्माण कराया गया है। राज्य के विभिन्न विभागों के स्टॉल भी मेला परिसर में लगाए गए हैं। मेला 22 दिसंबर तक चलेगा।

  • जाने सोनपुर मेला को 

मालूम हो की मोक्षदायिनी गंगा और गंडक नदी के संगम पर ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्व वाले सोनपुर क्षेत्र में लगने वाला सोनपुर मेला प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने से शुरू होकर एक महीने तक चलता है। प्राचीनकाल से लगनेवाले इस मेले का स्वरूप कलांतर में भले ही कुछ बदला हो, लेकिन इसकी महत्ता आज भी वही है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष लाखों देशी और विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। सरकार भी इस मेले का महत्व बरकरार रखने को लेकर हरसंभव प्रयास में लगी है। 

सोनपुर मेला को  ‘हरिहर क्षेत्र मेला’ और  ‘छत्तर मेला’  के नाम से भी जाना जाता है।  इसकी शुरुआत कब से हुई इसकी कोई निश्चित जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसकी शुरुआत उत्तर वैदिक काल से मानी जाती है।  महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने इसे शुंगकाल का माना है।  शुंगकालीन कई पत्थर एवं अन्य अवशेष सोनपुर के कई मठ मंदिरों में उपलब्ध रहे हैं।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह स्थल ‘गजेंद्र मोक्ष स्थल’ के रूप में भी चर्चित है। मान्यता है कि भगवान के दो भक्त हाथी (गज) और मगरमच्छ (ग्राह) के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए। कोणाहारा घाट पर जब गज पानी पीने आया तो उसे ग्राह ने मुंह में जकड़ लिया और दोनों में युद्ध शुरू हो गया। कई दिनों तक युद्ध चलता रहा। इस बीच गज जब कमजोर पड़ने लगा तो उसने भगवान विष्णु की प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुदर्शन चक्र चलाकर दोनों के युद्ध को समाप्त कराया। 

इस स्थान पर दो जानवरों का युद्ध हुआ था, इस कारण यहां पशु की खरीदारी को शुभ माना जाता है। इसी स्थान पर हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहर मंदिर भी है जहां प्रतिदिन सैकड़ों भक्त श्रद्धा से पहुंचते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान राम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था। हरिहरनाथ मंदिर के पुजारी ने कहा, “प्राचीन काल में हिंदू धर्म के दो संप्रदायों- शैव एवं वैष्णवों में विवाद हुआ करता था, जिससे समाज में संघर्ष एवं तनाव की स्थिति बनी रहती थी। तब उस समय के प्रबुद्ध जनों के प्रयास से इस स्थल पर एक सम्मेलन आयोजित कर दोनों संप्रदायों में समझौता कराया गया, जिसके परिणामस्वरूप हरि (विष्णु) एवं हर (शंकर) की संयुक्त रूप से स्थापना कराई गई, जिसे हरिहर क्षेत्र कहा गया।”

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