श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर बच्चे बच्चियों ने दिखाई अपनी कला, सांस्कृतिक कार्यक्रम में

राधा और कृष्ण बने छात्र छात्राओं के आकर्षक परिधानों को दर्शकों ने सराहा

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श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर बच्चे बच्चियों ने दिखाई अपनी कला, सांस्कृतिक कार्यक्रम में

राधा और कृष्ण बने छात्र छात्राओं के आकर्षक परिधानों को दर्शकों ने सराहा

ANA/Kanhai Chaudhary

पूर्णिया। जी डी गोयनका पब्लिक स्कूल पूर्णिया के प्रांगण में जन्माष्टमी का कार्यक्रम बड़े ही उमंग एवं उत्साह के साथ मनाया गया | विद्यालय परिसर में इस कार्यक्रम की तैयारी कुछ दिन पूर्व से ही चल रही थी | बच्चों के अन्दर उत्साह देखते बनता था | जहा छात्रों ने इस त्यौहार के लिए श्री कृष्ण सा पीताम्बर वस्त्र धारण किया था वहीं छात्राओं ने राधा जैसा वस्त्र धारण किया था | कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे जन्माष्टमी व गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है, यह एक वार्षिक त्योहार है जो विष्णुजी के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के आनन्दोत्सव के लिये मनाया जाता है। कार्यक्रम का प्रारंभ सर्वप्रथम मुख्यअतिथि गण एवं विद्यालय के प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष द्वारा दीप प्रज्वालित कर किया गया | इसी क्रम में विद्यालय परिसर में कृष्ण के बचपन की तस्वीरें एक पालने में रखी गईं और जन्माष्टमी से संबंधित गाने बजाए गए। स्कूल के शिक्षकगण और बच्चों द्वारा पूजा की गई। फूलों की खुशबू, जलते कपूर की सुखदायक सुगंध और घंटियों की झंकार से वातावरण में प्रसन्नता भर गई। विद्यालय के ओपरा हाउस को श्री कृष्ण जन्मभूमि की तरह सुसज्जित किया गया था | तत्पश्चात विद्यालय के छात्र–छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई | जहाँ उपस्थित सभी गणमान्य बच्चों के उत्साह को देखकर प्रफुल्लित हो उठे | बच्चों के द्वारा एक लघु नाटिका दिखाई गई, जिसमें अच्छी इच्छा को प्रोत्साहित करने और बुरी इच्छा को हतोत्साहित करने का संदेश दिया गया | कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए छात्रों ने दही हांडी प्रतियोगिता में भाग लिया एवं उत्साह के साथ सबने एकता की मिशाल भी कायम की। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि विद्यालय के अध्यक्ष डॉ पियूष अग्रवाल जी ने बच्चों को संबोधित करते हुए दिन के महत्व और कृष्ण के युवा दिनों, दही हांडी उत्सव और उनके चंचल और शरारती पक्ष के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि यह पवित्र अवसर लोगों को एक साथ लाया और एकता और विश्वास का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने और सही नींव रखने के लिए त्योहार स्कूल में मनाए जाते हैं। अंत में पूजा के बाद सभी बच्चों को प्रसाद वितरित किया गया।

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