भागवत कथा के चौथे दिन आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग पर दिया प्रवचन, झांकियां भी प्रदर्शित हुई

पीले परिधान में महिलाएं झूमती रही, सुरीले व आकर्षक भजनों को सुन

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
Listen to this article

भागवत कथा के चौथे दिन आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग पर दिया प्रवचन, झांकियां भी प्रदर्शित हुई

पीले परिधान में महिलाएं झूमती रही, सुरीले व आकर्षक भजनों को सुन

ANA/Indu Prabha

खगड़िया (बिहार)। श्री कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग पर आधारित कथा का प्रवचन भागवत कथा प्रांगण में वृंदावन के आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने हजारों भक्तजनों को विस्तार पूर्वक सुनाया। भागवत कथा आयोजन के चौथे दिन भी महिलाओं की संख्या अधिक पाई गई। आयोजन स्थल पर मारवाड़ी सेवा समिति के पदाधिकारी और सदस्य शांति व्यवस्था बनाए रखने में अपना भरपूर सहयोग दिए।अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथा प्रवचन आचार्य मृदुल कांत शास्त्री जी ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए कहा वसुदेव देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। अब आठवां बच्चा होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था। उन्होंने वासुदेव देवकी के दुःखी जीवन को देख आठवें बच्चों की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव देवकी को पुत्र पैदा हुआ उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ में से एक कन्या का जन्म हुआ जो और कुछ नहीं सिर्फ माया थी। जिस कोठरी में देवकी वासुदेव कैद थे उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंकर, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े। तब भगवान ने उनसे कहा अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूं। तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नंद जी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहां जो कन्या जन्मी है, उसे लाकर कंस के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी। उसी समय वासुदेव नवजात शिशु रूप श्री कृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और था जमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्वक बंद हो गए। अब कंस को सूचना मिली कि वसुदेव देवकी को बच्चा पैदा हुआ है। उसने बंदी गृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा ? तुझे मारने वाला तो वृंदावन में जा पहुंचा है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा। आगे आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने कहा श्री कृष्णा जन्मोत्सव कथा को सुनकर आप लोग हमेशा याद रखेंगे। कभी घमंड मत करना, घमंड में चूर मत रहना, चाहे वह दौलत का घमंड हो, चाहे पद का घमंड हो, चाहे प्रतिष्ठा का घमंड हो, अपनी जिंदगी में घमंड कदापि नहीं करना। क्योंकि एक न एक दिन ईश्वर तुम्हारे घमंड को चकनाचूर अवश्य कर देंगे। इसलिए कथा सिर्फ सुनो मत, इस पर अमल करो और अपने बच्चों को अपने परिवार को, अपने समाज को, अमल करने की प्रेरणा देते रहो। इसी में तुम्हारा कल्याण है, समाज का कल्याण है और देश का कल्याण है। राधे-राधे। भागवत कथा स्थल पर बने पंडाल के अंदर श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर आधारित आकर्षक संगीत मय झांकियां भी प्रदर्शित की गई, जिसे देख हजारों नर नारियां दांतों तले अपनी उंगलियां दबाने को बाध्य हो गई और संध्या आरती के उपरांत प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी हुआ। भागवत कथा श्रवण करने वालों में प्रमुख थे – गोविन्द टिकड़ेवाल, विशाल गोयल, विकास गोयल, मनु गोयल, प्रमोद केडिया, सुजीत बजाज ( विश्वनाथ गंज), सरिता बजाज, नगर परिषद सभापति अर्चना कुमारी, डॉ अरविन्द वर्मा, प्रमोद केडिया, मधु खेरिया, सरदार मन्नू सिंह, मृगांक कुमार, विष्णु बजाज, नवीन गोयनका, पवन दहलान, अशोक खंडेलिया तथा सुजीत बजाज आदि।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

The specified carousel id does not exist.


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

How Is My Site?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129