भगवान श्री कृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा, कनिष्ठ अंगुली पर सात दिनों तक गोर्वधन पर्वत को रखा – आचार्य मृदुल कांत शास्त्री (वृंदावन)

भागवत कथा के पांचवें दिन गोवर्धन पूजा व छपन्न भोग प्रसंग पर हुई चर्चा

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
Listen to this article

भगवान श्री कृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा, कनिष्ठ अंगुली पर सात दिनों तक गोर्वधन पर्वत को रखा – आचार्य मृदुल कांत शास्त्री (वृंदावन)

भागवत कथा के पांचवें दिन गोवर्धन पूजा व छपन्न भोग प्रसंग पर हुई चर्चा

वृंदावन से पधारे पंडितों व कलाकारों को समाज सेवी डॉ अरविन्द वर्मा ने दिया साधुवाद

ANA/Indu Prabha

खगड़िया (बिहार)। श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन वृंदावन के आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने हजारों भक्तजनों को संबोधित करते हुए कहा आज का प्रसंग है “श्री गोवर्धन पूजा एवं छप्पन भोग महोत्सव”। इसी विषय पर आचार्य शास्त्री ने घंटों विस्तार पूर्वक भक्तजनों को अपने कथा के माध्यम से समझाया कि घमंड करने वालों का घमंड, एक दिन अवश्य चूर हो जाता है जैसा कि इंद्रदेव का घमंड श्री कृष्ण ने तोड़ दिया था। आगे उन्होंने कहा बृजवासी और मां यशोदा इंद्रदेव की पूजा करने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच भगवान श्री कृष्ण ने अपनी माता से कहा पूजा करना ही है तो गोवर्धन पर्वत की करो, जिनकी वजह से गौ माता को भोजन मिलता है, आहार मिलता है और गौ माता से मिलने वाली दूध का सेवन कर बृजवासी स्वस्थ और तंदुरुस्त रहते हैं। इतना सुनते ही भगवान इंद्रदेव को गुस्सा आया और उन्होंने मूसलाधार बारिश प्रारंभ कर दिया। ब्रजवासी त्राहिमाम मचाने लगे। त्रस्त हो गए और मूसलाधार बारिश से बचने का उपाय ढूंढने लगे। ब्रजवासियों के इस दर्द को भगवान श्री कृष्ण ने समझा और अपनी कनिष्ठ उंगली पर ही गोवर्धन पर्वत को सात दिनों तक रखा, जिससे ब्रजवासियों को मूसलाधार बारिश का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इंद्रदेव की एक नहीं चली। इससे ब्रजवासी काफी खुश हुए और भगवान श्री कृष्ण के लिए 56 प्रकार के भोजन की तैयारी की यही गोवर्धन पर्वत से मूसलाधार बारिश को रोकने पर जो खुशी का इजहार बृजवासियों को हुआ इसलिए उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के सम्मान में छप्पन भोग का आयोजन किया क्योंकि भगवान श्री कृष्ण को मां यशोदा आठ प्रकार का भोजन कराती थी और जब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर बृजवासियों को भारी संकट से बचाया और पर्वत को सात दिनों तक उठा रखा। जब श्री कृष्णा अपने नंद भवन आए तो मां यशोदा ने उनके लिए सात दिनों के हिसाब से पूरे छपन्न प्रकार के भोजन तैयार किए थे। इंद्रदेव को भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगनी ही पड़ी क्योंकि उनका घमंड टूट गया। हर प्रयास में विफल हो गए और गोकुल वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई।गोवर्धन पर्वत की छांव में सभी गोकुल वासी भारी वर्षा से बच गए। सारे ब्रजवासियों ने भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की जय जय कार करने लगे। तभी से गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू हो गई। आगे महाराज आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने श्रीमद् भागवत कथा में पहुंचे तमाम श्रद्धालुओं से कहा कि अहंकारी मत बनो क्योंकि अहंकार ईश्वर का भोजन है। मानव मानव से प्यार करो, अपने इर्द गिर्द निर्धन मानव का सहयोग करो, जहां तक हो सके कोशिश करो कि भाईचारे का आपसी संबंध बनी रहे। अपने माता-पिता, दादा-दादी की सेवा अवश्य करते रहें। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद बहुत जरूरी होता है। जो काम दवा नहीं करती, वह बड़े बुजुर्गों की दुआ से दूर हो जाता है। इसलिए कथा का श्रवण करने वाले तमाम श्रद्धालुओं से आग्रह है कि जो जो यहां कथा सुन रहे हैं इसे औरों को भी अपने अपने स्तर से परिवारों को, अपने समाज को भी सुनाने का प्रयास अवश्य करें। श्रोताओं के बीच आनंद का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि भक्ति में श्रीमद् भागवत कथा के क्रम में मधुर संगीत में स्वर और वाद्य यंत्रों के सहयोग से वृंदावन से आए कलाकारों में प्रमुख विष्णु शर्मा, राधे बृजवासी, सत्यम जी, कैलाश गंधर्व, नयन तिवारी, रुपेश मिश्रा, कृष्ण गोपाल और सोनू बृजवासी ने अपनी अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए भक्तिपूर्ण भजन और संकीर्तन प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मुग्ध कर लिया। वहीं वृंदावन से आए सोशल मीडिया प्रभारी गोपाल जी ने डिजिटल माध्यम से दूर दराज के लोगों को कथा से लाभान्वित कराया। किसी भी संगीत को मनमोहक और आकर्षक बनना वाद्य यंत्रों और वादकों की निपुणता पर आश्रित रहता है। दोनों के बीच अन्योनाश्रय संबंध रहता है। तभी तो संगीत और भजन की धुन सुनते ही पुरुष हो या महिलाएं, बच्चे हो या बूढ़े सारे के सारे खड़े होकर तालियां बजा बजाकर झूम उठे और खुद कलाकारों के संग कलाकारों के संग संग झूम झूम कर नाचने, गाने लगे। मौके पर उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार डॉ अरविंद वर्मा ने मीडिया से कहा धन्य है गोयल परिवार जिनके सौजन्य से आज श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हो रहा है और लोग वृंदावन के प्रख्यात आचार्य मृदुल कांत शास्त्री जी के मुखारविंद से प्रवचन सुनकर लाभान्वित हो रहे हैं। डॉ वर्मा ने वृंदावन से पधारे तमाम पंडितों एवं कलाकारों को साधुवाद दिया। आगे डॉ वर्मा ने कहा समय-समय पर धार्मिक प्रवचनों को सुनने से धार्मिक ग्रंथो की यादें तरो ताजा हो जाती है और लोगों को अच्छे बुरे का ज्ञान भी हो जाता है, जिसका सीधा प्रभाव समाज के हर तबके के लोगों पर पड़ता है । श्रीमद् भागवत कथा आगामी 24 दिसंबर तक चलेगी। सनद रहे, विकास और विशाल, श्वेता गोयल ने अपने माता पिता की 50 वीं शादी की साल गिरह पर सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया गया। श्रवण करने वालों में प्रमुख थे प्रमोद केडिया, सुजीत बजाज, विष्णु बजाज विष्णु बजाज, सुजीत बजाज (विश्वनाथगंज), श्वेता गोयल विकास गोयल, विशाल गोयल, गोविंद टिकड़ेवाल तथा नवीन गोयनका आदि।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

The specified carousel id does not exist.


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

How Is My Site?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129