भाजपा के टॉप टेन स्टार प्रचारकों में भी अब नहीं रहे पूर्व सांसद अश्विनी चौबे, शाहनवाज हुसैन

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भाजपा के टॉप टेन स्टार प्रचारकों में भी अब नहीं रहे पूर्व सांसद अश्विनी चौबे एवं शाहनवाज हुसैन

ANA/Pradip

भागलपुर : बिहार उपचुनावों में भाजपा कैंडिडेट के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भागलपुर के दो पूर्व वजनदार नेता अश्विनी कुमार चौबे और सैयद शाहनवाज हुसैन का नाम शामिल तो है, परंतु दोनों पूर्व सांसदों को टॉप टेन से बाहर रखा गया है। भाजपा में इन दोनों पूर्व सांसदों के गिरते ग्राफ की चर्चा आज भागलपुर के चप्पे-चप्पे में गूंजती दिखी। सोशल मीडिया एक्स पर भी यह चर्चा आम रही। लिस्ट में अश्विनी कुमार चौबे को 19वें और सैयद शाहनवाज हुसैन को 22वें स्थान पर रखा गया है। मौजूदा स्टार प्रचारकों में लगभग 40 नाम हैं। ऐसे में चौबे और शाहनवाज के समर्थकों में मायूसी है। साथ ही उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंता भी है। वैसे अंग क्षेत्र की राजनीति में इन दोनों के समर्थक अब कुछ अपने बल-बूते भाजपा में अपनी पैठ जमाने में लगे हैं, तो कुछ चेहरे राजनीति से खुद को दूर करते देखे जा रहे हैं। मालूम हो कि अश्विनी चौबे लगातार 10 वर्षों तक बक्सर के सांसद और पांच बार भागलपुर से विधायक रहे हैं। साथ ही 16 वर्षों तक मंत्री परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। वहीं सैयद शाहनवाज हुसैन की राजनीतिक पारी भी कमतर नहीं है। हुसैन पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भाजपा के कोहिनूर हुआ करते थे। भागलपुर लोकसभा सीट से हारने के बाद उनकी राजनीतिक हैसियत अचानक गिरावट में आ गई। इस बीच उन्हें विधान परिषद सदस्य और नीतीश सरकार में मंत्री बनने का मौका भी मिला। वैसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व भी इन दोनों पूर्व सांसदों से दूरी बनाते दिख रहे हैं। अश्विनी चौबे, बक्सर से बेटिकट होने के बाद अब भागलपुर में ही जम गए हैं। उनकी आखिरी इच्छा है कि बेटे अर्जित शाश्वत चौबे को भागलपुर की राजनीति में स्थापित करें। मौका मिलने के बावजूद पिता-पुत्र इस मौके का फायदा नहीं उठा पाए। फिलहाल, भागलपुर सदर सीट से भाजपा में दावेदारों की भीड़ है।इस भीड़ में अर्जित का अब दोबारा से टिकना क्या आसान होगा ? भाजपा सूत्रों के अनुसार, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भागलपुर सदर सीट के लिए चेहरे की तलाश पूरी कर ली गई है। हाल ही में जो सीलबंद लिफाफा भागलपुर से पटना और दिल्ली भेजा गया है, उसमें तीन नामों की चर्चा है, पर अर्जित का नाम उस पर्ची में नहीं है। इस खुलासे की चर्चा पिछले दिनों अखबारों में सुर्खियां बटोर चुकी है।

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