अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केंद्र में काशी के पंo सुबोध मिश्रा ने कहा 15 नवंबर को देव दीपावली पर करें दीपदान

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अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केंद्र में काशी के पंo सुबोध मिश्रा ने कहा 15 नवंबर को देव दीपावली पर करें दीपदान

जानें, देव दीपावली पूजा का शुभ मुहुर्त और कहां करें दीपदान ?

ANA/S.K.Verma

खगड़िया। काशी की विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली के ज़रिए सनातन धर्म की आभा विश्व को प्रभावित करेगी। वाराणसी के नमो तट पर 15 नवंबर को मुख्य कार्यक्रम होगा। जबकि 12 से 14 नवंबर तक अस्सी घाट पर काशी गंगा महोत्सव किया जाएगा उक्त बातें, अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केंद्र के राष्ट्रीय प्रवक्ता काशी के पंo डॉ सुबोध मिश्रा (ज्योतिष प्राध्यापक) ने केंद्र के संस्थापक महर्षि अरविन्द के समक्ष मीडिया से कही। आगे उन्होंने कहा उत्तर वाहिनी जाह्नवी के दोनों तट पर देव दीपावली और भी विहंगम होगा। हिंदू धर्म में देव दीपावली देवताओं इस भव्य उदाहरण पर पृथ्वी पर उतरना के विश्वास में मनाई जाती है। पंo मिश्रा ने कहा देव दीपावली मनाने का एक और मिथक है कि त्रिपुरासुर दानव इस दिन देवताओं द्वारा मारा गया था, तो यह देव दीपावली के रूप में नामित किया गया और कार्तिक पूर्णिमा पर देवताओं की विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंo सुबोध मिश्रा ने बताया देव दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:58 से 05:51 के बीच.
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 05:24 से 06:44 के बीच.
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 से 12:27 के बीच.
विजय मुहूर्त: दोपहर 01:53 से 02:36 के बीच.
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:27 से 05:54 के बीच.
सायाह्न सन्ध्या: शाम 05:27 से 06:47 के बीच.
अमृत काल: 05:38 पी एम से 07:04 पी एम
देव दिवाली पूजा गोधूली या अमृत काल में कर सकते हैं। देव दिवाली के दिन करते हैं दीपदान। दीपक का दान करना या दीप को जलाकर उसे उचित स्थान पर रखना दीपदान कहलाता है। किसी दीपक को जलाकर देव स्थान पर रखकर आना या उन्हें नदी में प्रवाहित करना दीपदान कहलाता है। यह प्रभु के समक्ष निवेदन प्रकाट करने का एक तरीका होता है। पंo सुबोध मिश्रा ने खगड़िया वासियों से अपील करते हुए कहा देवमंदिर में दीपदान करें, नदी के किनारे या नदी में दीपदान करें। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।अगर आस-पास में गंगा नदी मौजूद है तो वहां स्नान करें।अगर न हो तो घर के पानी गंगा जल मिलाकर स्नान करें। सुबह के वक्त मिट्टी के दीये में घी या तिल का तेल डालकर दीपदान करें। भगवान श्री विष्णु का पूजन करें। पूजन के समय- ‘नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे। सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम: मंत्र का जाप करें। इस दिन घर में हवन करवाएं अथवा पूजन करें। घी, अन्न या खाने की कोई भी वस्तु दान करें। सायंकाल के समय किसी भी मंदिर में दीपदान करें। इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा का पाठ करें। देव दिवाली को इन मंत्रों का जाप करने से धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं-
ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा..
ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा।
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः.
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।

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