गीता जयन्ती के अवसर पर श्यामा माय मंदिर परिसर में ‘गीता ज्ञान यज्ञ- 2024’ आयोजित

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गीता जयन्ती के अवसर पर श्यामा माय मंदिर परिसर में ‘गीता ज्ञान यज्ञ- 2024’ आयोजित

सिर्फ गीता ग्रन्थ की जयंती मनाया जाना इसके महत्व का द्योतक- डॉ विनय कुमार

गीता ज्ञान-यज्ञ पहली बार श्यामा मंदिर परिसर में आयोजित, अगले वर्ष से होगा इसका वृहद आयोजन- प्रो जयशंकर

ANA/S.K.Verma

दरभंगा। गीता जयंती के सुअवसर पर मां श्यामा मंदिर परिसर, दरभंगा में गीता ज्ञान यज्ञ- 2024 का आयोजन मां श्यामा न्यास समिति के उपाध्यक्ष प्रो जयशंकर झा की अध्यक्षता में संध्या काल में किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभागाध्यक्ष डॉ विनय कुमार मिश्र, विशिष्ट वक्ता एम के कॉलेज, लहेरियासराय के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो विनोदानंद तथा प्रो उदय शंकर मिश्र, कार्यक्रम संयोजक डॉ संतोष कुमार पासवान, न्यासी मधुबाला सिन्हा, मीडिया इन्चार्ज डॉ आर एन चौरसिया, सक्रिय कार्यकर्ता उज्ज्वल कुमार तथा पंडित महेश कान्त झा आदि ने विचार व्यक्त किया, जबकि शिवकुमार गुप्ता, शुभग लाल दास तथा मिथिलेश मिश्र आदि ने भजन-गायन तथा वादन प्रस्तुत किया। सभी वक्ताओं एवं आयोजकों ने अल्पकाल में ही इस आयोजन की स्वीकृति देने के लिए मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष प्रो एस एम झा की मुक्त कंठ से सराहना की। अतिथियों एवं कलाकारों को श्यामा माय की चुनरी, फूल- माला, श्यामा भोग तथा श्यामा संदेश स्मारिका आदि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ सुधीर कुमार झा, राघव मिश्र, अरुण झा सहित 100 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे। मुख्य वक्ता डॉ विनय कुमार मिश्र ने कहा कि आज 5161वीं गीता जयंती मनायी जा रही है जो हम लोगों के लिए गर्व की बात है। भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा गीता- ज्ञान गायन के रूप में नि:सृत हुआ है। अन्य ग्रंथों में सिद्धांत एवं शास्त्र बताया गया है। वहीं गीता इसके अलावे उनका जीवन में विनियोग भी सीखता है। उन्होंने बताया कि अन्य किसी भी ग्रन्थ की जयंती नहीं मनायी जाती है, सिर्फ गीता ग्रन्थ की ही जयंती मनाया जाना इसके महत्व का द्योतक है। इस महान ग्रन्थ के उपदेशों से हम सब अनुप्राणित हैं। गीता हमें निष्काम कर्म की शिक्षा देती है, जिसके अध्ययन से हमलोग आत्मतत्व को आसानी से समझ कर जीवन को सार्थक बना सकते हैं। विशिष्ट वक्ता प्रो विनोदानंद झा ने कहा कि श्यामा मंदिर परिसर में गीता ज्ञान- यज्ञ का शुभारंभ गर्व की बात है। 16 कलाओं के साथ पूर्ण ब्रह्म के रूप में श्रीकृष्ण भगवान् के मुख से निकली वाणी ही गीता है। उन्होंने गीता के अनेक श्लोकों का वाचन कर उसका मूल भाव समझाया। न्यासी मधुबाला सिन्हा ने कहा कि गीता में मुख्य रूप से भक्ति, कर्म एवं ज्ञान योग का वर्णन 18 अध्यायों के 700 श्लोकों में किया गया है। सुख के साथ ही दुःख काल में भी गीता हमें श्रेष्ठ मार्ग बतलाती है। इसके अध्ययन-अध्यापन से संसार की सभी समस्याओं का निदान संभव है। अध्यक्षीय संबोधन में मंदिर न्यास समिति के उपाध्यक्ष प्रो जयशंकर झा ने कहा की श्रीकृष्ण एवं महाकाली में अभेद्य संबंध है। कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में जब अर्जुन में समर्पण का भाव उत्पन्न हुआ, तब भगवान् कृष्ण ने गीता का उपदेश देकर उनका श्रेष्ठ मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने बताया कि दैनिक सत्संग के आयोजन तथा भजन-संध्या एवं भंडारा आयोजन के प्रस्ताव को न्यास समिति ने स्वीकृति दी है। अगले वर्ष से गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन और भी बृहत स्तर पर किया जाएगा। आगत अतिथियों का स्वागत गीता जयंती समारोह-2024 के संयोजक डॉ संतोष कुमार पासवान ने करते हुए इस आयोजन के महत्व से अवगत कराया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ आर एन चौरसिया ने गीता के महत्वों की चर्चा की। गीता जयंती समारोह का उद्घाटन दीप प्रज्वलन से हुआ, जबकि समापन सामूहिक आरती गायन से हुआ।

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