बिहार नियोजित शिक्षकों के समर्थन में साथ खड़े उतरे जाप किसान सेल के प्रदेश अध्यक्ष मनोहर यादव

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बिहार नियोजित शिक्षकों के समर्थन में साथ खड़े उतरे जाप किसान सेल के प्रदेश अध्यक्ष मनोहर यादव

 ANA / RAVI KANT 

खगड़िया। जाप नेता सह पूर्व नगर सभापति मनोहर यादव ने कहा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सम्मान करते है लेकिन बिहार सरकार की रवैया ठीक नही है, मुख्यमंत्री नीतीश ने लाखों नियोजित शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है एक ही काम करने वाले शिक्षकों को दो तरह का वेतन देने कैसे उचित है। दिनों दिन मंहगाई बढ़ती जा रही है शिक्षकों को अपना गुजर बसर करना मुश्किल हो रहा है सरकार जरा भी गंभीर नहीं दिख रही है। उन्होंने जाप सुप्रीमों माननीय सांसद पप्पू यादव जी लगातार सड़क से सदन तक नियोजित शिक्षकों की लड़ाई लड़ने का काम किया है लेकिन कोर्ट की फैसला का सम्मान करते हुए सरकार के खिलाफ लड़ाई तबतक जारी रहेगी जब तक नीतीश कुमार को गद्दी से उतार नहीं देते है। आगे उन्होंने कहा आज शिक्षक भाइयों को हताश नहीं होने की जरूरत नही है, उनके साथ जन अधिकार पार्टी खड़ी है। साफ लहजे में कहा आने वाला कल अगर बिहार में जन अधिकार पार्टी की सरकार बनती है तो नियोजित शिक्षकों को सामान काम का सामान वेतन दिया जाएगा । साथ ही आशा, ममता, सेविका, संविदा कर्मियों की मांग को पूरा किया जाएगा।

जाप किसान सेल के प्रदेश अध्यक्ष मनोहर यादव
जाप किसान सेल के प्रदेश अध्यक्ष मनोहर यादव

आपको बता दें कपिल सिब्बल-प्रशांत भूषण जैसे नामचीन वकीलों ने लड़ी थी बिहार के शिक्षकों की लड़ाई दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले की अंतिम सुनवाई वर्ष 2018 में तीन अक्तूबर को हुई थी। फैसले को लेकर सभी की निगाहें दिल्ली पर टिकी थी जहां बिहार के नियोजित शिक्षकों के कई नेता भी कैंप कर रहे थे। दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले की अंतिम सुनवाई वर्ष 2018 में तीन अक्तूबर को हुई थी। शिक्षकों का ये मामला 10 साल पुराना है जब 2009 में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने बिहार में नियोजित शिक्षकों के लिए समान काम समान वेतन की मांग पर एक याचिका पटना हाइकोर्ट में दाखिल की थी। बिहार के शिक्षकों की ये लड़ाई दस साल से चल रही है और इस लड़ाई में उनकी तरफ से देश के नामचीन वकीलों ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है। बिहार के शिक्षक नेताओं ने बताया कि हमारे तरफ से कोर्ट में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, प्रशांत भूषण, सलमान खुर्शीद जैसे वकीलों ने कोर्ट में बहस की। कानूनी लड़ाई लड़ने में बिहार के नियोजित शिक्षकों ने करोड़ों रूपए खर्च करने की भी बात कही है। आठ साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद पटना हाइकोर्ट ने साल 2017 को अपना फैसला बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के पक्ष में दिया था। इस फैसले के तहत कहा गया था कि नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। आपको बता दें कि कोर्ट के इस फैसले से बिहार के प्राथमिक स्कूल से लेकर प्लस टू विद्यालयों के शिक्षक इस फैसले से प्रभावित होंगे। शिक्षकों से जुड़े इस बड़े फैसले में जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस उदय उमेश ललित की खंडपीठ ने अंतिम सुनवाई पिछले साल तीन अक्तूबर को की थी जिसके बाद से फैसला सुरक्षित रखा गया था। सात महीने बाद आने वाले इस फैसले का सीधा असर बिहार के पौने चार लाख शिक्षकों और उनके परिवार पर होगा।बिहार के साढ़े तीन लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से निराशा हाथ लगी है और समान काम के लिए समान वेतन मिलने का मामला एक बार फिर से अटक गया है। शुक्रवार को कोर्ट ने शिक्षकों की मांग को न केवल खारिज किया बल्कि पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को भी निरस्त किया जिसमें कोर्ट ने समान काम के लिए बिहार के नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने का फैसला दिया था।

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