अब, गरीब असहाय दुर्बल का आंसू पोछेगा कौन ? – साम्बवीर यादव

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अब, गरीब असहाय दुर्बल का आंसू पोछेगा कौन ? – साम्बवीर यादव

ANA/S.K.Verma

खगड़िया। बुधवार की सुबह होते ही सब कुछ खगड़िया का बदल गया, पूनम देवी यादव आप सबके विधायक नहीं रहे और मेरा परिवार आपका सेवक नहीं रहा। चुकी बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो गया, जिसमें आप लोगों ने पूनम देवी यादव एनडीए समर्थित (जदयू) प्रत्याशी को 43,715 मत दिए जिसके कारण लगभग 2,661 मतों से पिछड़ गई। इससे पूर्व माता जी को चार बार और मेरे पिता जी को एक बार विधायक बना कर सेवा करने का आप सबों ने शुअवसर दिया। हमारे माता पिता,मॉम और मैं दलीय राजनीतिक से ऊपर उठकर सेवा किये। साथ ही सामाजिक जीवन में हर समय आमजनों को ईश्वर के प्रतीक मानकर सबों का सम्मान सहित सेवा किया। उक्त बातें खगड़िया के जाने-माने राजनीतिक के चर्चित हस्ती पूर्व विधायक रणवीर यादव के पुत्र युवा जद यू के प्रदेश उपाध्यक्ष आर्किटेक्ट साम्बवीर यादव ने अपने पिता के हवाले से एक संदेश के रूप में प्रतिक्रिया के रूप में भावना व्यक्त किया। आगे उन्होंने कहा है कि मेरा परिवार दो प्रकार से सेवा किया। एक सरकारी स्तर पर और दूसरा नीजि स्तर पर आमजनों के बीच सुविधा का लाभ आज तक इमानदारी पूर्वक पहुंचाया। इसके लिए सड़क से विधानसभा के सदन तक आवाज उठाया। यह कभी नहीं समझा कि सत्ताधारी दल के विधायक हैं, प्रशासनिक कमियों को उजागर ना करूं। साथ ही सामाजिक सरोकार की समस्या जैसे कभी भी कोई पीड़ित,दुखिया समस्या से ग्रसित लोगों के आने पर स्वयं से भर सक सहयोग करने का काम किया है। चाहे आर्थिक क्यों ना हो। जिसके कारण कुछ अवांछित लोग ईष्या, द्वेष के कारण भितरघात किया परिणाम स्वरूप कुछ सौ मतों से पराजित हुए। अगर पूनमदेवी यादव और सरकार की विफलता के कारण पराजित होती तो मतों का अंतर भी बड़ा होता। इस बार के चुनाव में बहुत का चरित्र गिरते देखा गया। कोई शराब, कोई मांस और कोई रुपए के लोभ में चरित्र गिराया है। वोट को सौदागर के हाथों बिकते देखा गया। जिसे इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। अब परिणाम के बाद कोई शराब नहीं देगा ना मांस देगा। यहां तक कि पहचानने से भी इनकार करेंगे। कोई सड़क की मरम्मति के लिए सीमेंट, बालू और हर एक परिवार को नौकरी देने की बात नहीं कहेंगे। यह सब कुछ वोट के सौदागर का चुनावी जुमला था सीर्फ आपलोगों को झांसा देने के लिए। आगे उन्होंने कहा कि पूनम देवी यादव विधायक नहीं रहे, इसका मलाल नहीं है। मलाल तो सिर्फ इस बात की है कि अब गरीब कमजोर और असहाय की बात कौन सुनेगा ? अब बीमार, लाचार, ठंड से कांपते बूढ़े- बच्चे, महिलाएं को वस्त्र कौन देगा। अब कौन करेगा गरीब के इलाज का अनुशंसा ऊपर से आने-जाने का खर्च दवाई का पैसा । ऐसे लोगों को अब ईश्वर ही देखेंगे। अब ना ही अधिकारी सुनेगा ना ही जनप्रतिनिधि मिलेगा।एक बार फिर से खगड़िया जाती- पार्टी के पेंच में फंस गया। अंत में उन सभी साथी, राजनीतिक सहयोगी खासकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल के स्थानीय नेताओं का हृदय से आभारी हूँ, जिन्होंने ईमानदारी से सहयोग और साथ दिया साथ ही रणवीर फैंस एसोसिएशन, राष्ट्रीय युवा संग्राम मोर्चा एंव वीर बंधु के समर्पित सभी साथीगण बधाई के पात्र हैं; जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में अदम्य साहस और धैर्य से चुनाव लड़ा। वहीं दलित युवा संग्राम परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष आचार्य राकेश पासवान शास्त्री ने कहा कि इस चुनाव में राजनीतिक पंडित , सामाजिक समरसता के संरक्षक व समाजवाद के प्रतिभावान योद्धा पूर्व विधायक भाई रणवीर यादव जेल के बाहर हमलोगों के बीच होते तो चुनावी परिणाम पूनम देवी यादव के पक्ष में होते,जो गरीबों नीरिहों-पीड़ितों के हक में बेहतर होता।

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