श्री कृष्ण को आध्यात्मिक प्रेम था राधा से जबकि रुक्मिणी थी पहली पत्नी – आचार्य मृदुलकांत शास्त्री (वृन्दावन)

भागवत कथा के छठे दिन भक्तों ने सुनी श्री कृष्ण रुक्मिणी विवाह पर आधारित कथा

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श्री कृष्ण को आध्यात्मिक प्रेम था राधा से जबकि रुक्मिणी थी पहली पत्नी – आचार्य मृदुलकांत शास्त्री (वृन्दावन)

भागवत कथा के छठे दिन भक्तों ने सुनी श्री कृष्ण रुक्मिणी विवाह पर आधारित कथा

ANA/ Arvind Verma

खगड़िया (बिहार)। श्री कृष्ण रुक्मिणी विवाह प्रसंग पर प्रवचन करते हुए वृंदावन के प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक आचार्य मृदुलकांत शास्त्री जी ने श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कहा श्री कृष्ण का राधा से आध्यात्मिक प्रेम था और रुक्मिणी उनकी पहली पत्नी थी। श्री कृष्ण और रुक्मिणी के बीच शादी किस प्रकार से हुई इस पर चर्चा करते हुए आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने कहा कि राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी की शादी के लिए योग्य वर की तलाश थी। जो भी राज दरबार में आते वो श्री कृष्ण की वीरता का चित्रण करते। इससे संबंधित कई उदाहरण भी दिया करते थे। ऐसी कहानियां सुन सुन कर रुक्मिणी ने श्री कृष्ण की बहादुरी पर मोहित होकर उन्हें मन ही मन अपना पति मान लिया। दूसरी तरफ राजा भीष्मक के पुत्र रुक्म का परम मित्र चेदिराज शिशुपाल, रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था। राजा ने अपने पुत्र के कहने पर रुक्मिणी की शादी शिशुपाल से करने का निर्णय किया। लेकिन रुक्मिणी तो कान्हा को पति मान चुकी थी। इसलिए इसकी जानकारी से संबंधित संदेश रुक्मिणी ने श्री कृष्ण तक भिजवाई। रुक्मिणी को संकट में देख श्री कृष्ण विदर्भ राज्य पहुंचे। जब शिशुपाल विवाह के लिए द्वार पर आए तो श्री कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया। परिणाम स्वरूप श्री कृष्ण, शिशुपाल और रुक्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंततः द्वारकाधीश कृष्ण की विजय हुई। श्री कृष्ण रुक्मिणी को द्वारकाधीश ले आए और यहीं इनका विवाह हुआ। इस प्रकार श्री कृष्ण की पहली पत्नी रुक्मणी हुई। आगे आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने कहा राधा और रुक्मिणी दोनों ही लक्ष्मी का प्रारूप है। परंतु जहां रुक्मिणी दैहिक लक्ष्मी हैं वहीं दूसरी ओर राधा आत्मिक लक्ष्मी हैं। श्री राधा को आदिशक्ति माना जाता है जबकि श्री रुक्मिणी को माता लक्ष्मी का अवतार। श्री कृष्ण राधास में समाए हुए हैं जबकि रुक्मिणी श्री कृष्ण में समाई हुई हैं । श्री कृष्ण रुक्मिणी विवाह प्रसंग को कई झांकियों के माध्यम से भक्तजनों को समझाने की कोशिश की गई। आकर्षक झांकियां को देख दर्शकगण काफी अचंभित हो उठे। श्रीमद् भागवत कथा के बीच-बीच में भजन और संकीर्तन से भक्तजन भाव विभोर होते रहे। सायं आरती के बाद प्रसाद वितरण का भी कार्यक्रम हुआ। भागवत कथा का श्रवण करने बिहार के मोतिहारी, सुपौल, पटना, हाजीपुर,, मुजफ्फरपुर, सिलीगुड़ी, कोलकाता के अलावे ज़िले के कोने कोने से आए। मौके पर उपस्थित थे गोविन्द टिकड़ेवाल, सदर विधायक छत्रपति यादव, डॉ अरविन्द वर्मा, प्रमोद केडिया, विशाल गोयल, विकास गोयल, श्वेता गोयल, विनोद तुलस्यान, सुजीत बजाज आदि।

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