शराब कारोबारी बड़ी मछलियां पकड़ से बाहर, सफेदपोशों को चिन्हित कर करें कार्रवाई – सीएम

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शराब कारोबारी बड़ी मछलियां पकड़ से बाहर, सफेदपोशों को चिन्हित कर करें कार्रवाई – सीएम

मद्य निषेध विभाग द्वारा अयोजित राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में सीएम ने सभी डीएम और एसपी को दिया विशेष निर्देश

सदर अस्पताल के नशा मुक्ति केन्द्रों में मरीजों का हो सही ईलाज, सीएम का निर्देश

ANA/Arvind Verma

खगड़िया। मुख्यमंत्री, बिहार नीतीश कुमार ने सभी जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों के साथ मद्य निषेध के कार्यान्वयन पर समीक्षात्मक बैठक की। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों को सजग एवं सतर्क रहते हुए मद्य निषेध नीति के प्रभावी क्रियान्वयन का निर्देश दिया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उक्त समीक्षात्मक बैठक का आयोजन मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग बिहार द्वारा किया गया था। समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने बिहार में 1 अप्रैल 2016 से लागू पूर्ण शराबबंदी के बारे में जानकारी देते हुए बिहार में नई मद्य निषेध नीति के क्रियान्वयन पर जोर देने का निर्देश देते हुए कहा कि शुरुआती वर्षों में देशी एवं विदेशी शराब की बरामदगी कम होती थी, जो कि अभी बढ़ रही है। देसी शराब भट्ठियों के भी अवैध रूप से संचालित होने की सूचना प्राप्त हो रही है। इस पर पूरी कड़ाई से अंकुश लगाने की जरूरत है। शराबबंदी के पक्ष में सब ने शपथ भी लिया था और 21 जनवरी 2017 को मानव श्रृंखला का भी निर्माण किया गया था, जिसमें 4 करोड़ से अधिक लोग शामिल हुए थे। शराबबंदी को बाद में नशाबंदी के रूप में परिवर्तित किया गया और इसकी निरंतर समीक्षा होती रही है। इसको लेकर मद्य निषेध पुलिस एवं गृह विभाग से भी बातचीत कर नियमित समीक्षा की जाती है। शराब पीने वाले पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की गई है लेकिन हाल में नकली शराब की आपूर्ति की घटनाओं में वृद्धि हुई है और कुछ लोगों की मृत्यु नकली शराब पीने से हुई है। नशाबंदी को लेकर निरंतर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर मुख्यमंत्री ने बल दिया। विदेशिया के प्रचार प्रसार कर लोगों को जागरूक किया जाए। विशेषकर महिलाओं के बीच अभियान चलाकर शराबबंदी के खिलाफ जागरूकता को पुनः प्रसारित करने की जरूरत है। स्थानीय स्तर पर चौकीदारों की परेड कर शराब की आपूर्ति के संबंध में सूचना प्राप्त की जाए। यदि उनके द्वारा सूचना नहीं दी जाती है और उन क्षेत्रों में शराब पकड़ी जाती है तो उन पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाए। जिन थानेदारों के क्षेत्र में शराब बरामदगी की घटना हो, उन्हें अगले 10 साल तक थानेदार के पद पर नियुक्त नहीं करने के संबंध में पहले से भी निर्देश दिया हुआ है और इसका कड़ाई से पालन किया जाए। शराबबंदी के दौरान कमजोर गरीब गुरबा की ज्यादा गिरफ्तारी हो रही है और बड़े लोग नहीं पकड़े जा रहे हैं। इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है और इस खेल में शामिल बड़ी मछलियों को भी पकड़ा जाए।सीमावर्ती जिले के बाद वाले चौथे पांचवें जिले में शराब की खेप पकड़ने का मतलब यह है कि इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आपूर्ति के मार्ग को पहचान कर सघन निगरानी रखने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया।मुख्यमंत्री ने इस बात का विशेष उल्लेख किया कि बिहार के 200 थानों में किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई की सूचना नहीं है इसका मतलब या तो वहां सब ठीक है अन्यथा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मद्य निषेध के बारे में जानकारी देने के लिए कॉल सेंटर खोला गया है और लोग वहां भी अवैध शराब के संबंध में जानकारी दे सकते हैं। उनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी। सभी ट्रांसफार्मर पर कॉल सेंटर का फोन नंबर लिखा गया था। अगर फोन नंबर मिट गया हो तो दोबारा लिखवाया जाए। मुख्यमंत्री ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े उद्धृत कर बताया कि विश्व में 20 से49 आयुवर्ग के लोगों की मौत के मामलों में 13.5% लोग शराब से मरे हैं। इसी प्रकार दुनिया में 5.3% मौतें शराब पीने से होती हैं।आत्महत्या के मामलों के विश्लेषण से यह सामने आया है कि 18% लोग शराब के कारण आत्महत्या करते हैं। उन्होंने सभी सरकारी भवनों विद्यालयों पंचायत भवनों आंगनवाड़ी केंद्रों इत्यादि पर शराब पीने से होने वाले नुकसान को लिखवाने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने आगामी 26 नवंबर को नशाबंदी दिवस के अवसर पर सभी लोगों को शराब के खिलाफ शपथ दिलाने का निर्देश दिया और कहा कि वे लोग अन्य लोगों को भी शराबबंदी के प्रति प्रेरित करने का कार्य करें। पुलिस विभाग के भी पदाधिकारी एवं कर्मी शपथ लेंगे। शराबबंदी के प्रति दृढ़ संकल्प वाले पदाधिकारियों का ही पदस्थापन होना चाहिए। आंतरिक सतर्कता रखनी भी जरूरी है। समीक्षा बैठक के दौरान पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से शराब बरामदगी के संकेंद्रण, उनकी मात्रा आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई और यह तथ्य उभर कर आया कि हाल के वर्षों में पंजाब, हरियाणा के बजाय अरुणाचल प्रदेश और झारखंड में निर्मित शराब की बरामदगी की घटनाएं बढ़ी हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि सभी जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को सुनिश्चित कराना होगा कि सभी थाना क्षेत्रों में रेड पड़े और अवैध शराब की आपूर्ति हो रही हो तो इसे रोका जाए। 253 थाने में वर्ष 2019-20 के दौरान एक भी रेड नहीं पड़ा और वर्ष 2020-21 में 196 थाने में एक भी रेड नहीं पड़ा। यह विचारणीय विषय है। समीक्षा के दौरान शराब विनष्टीकरण के आंकड़ों को भी प्रस्तुत किया गया और गिरफ्तार लोगों के संख्या की जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री ने शराब आपूर्ति के होम डिलीवरी के तंत्र को तोड़ने का निर्देश दिया और शराब के आपूर्ति श्रृंखला को पहचान कर इसे बंद कराने का निर्देश दिया। समीक्षा बैठक के दौरान यह बताया गया मद्य निषेध नीति के तहत अधिग्रहित वाहनों को अब सरकारी कार्यालयों में इस्तेमाल के लिए भी रखा जा सकता है। 26 नवंबर को नशा मुक्ति दिवस के अवसर पर शिक्षा विभाग द्वारा सभी विद्यालयों में स्लोगन प्रतियोगिता, प्रभात फेरी, निबंध एवं दीवार लेखन कराएगा। कला जत्था द्वारा नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया जाएगा। परिवहन विभाग द्वारा सभी बस डिपो, बसों में मद्य निषेध का स्लोगन लिखा जाएगा। सिनेमा हॉलों में लघु फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा। सभी लोगों द्वारा नशाबंदी के संबंध में शपथ ग्रहण लिया जाएगा। नशाबंदी को प्रसारित करने के लिए पोस्टर और बैनर भी लगाया जाएगा और टीवी और रेडियो पर जिंगल्स सुनाये जाएंगे। ताड़ी से बने पेय पदार्थ नीरा एवं अन्य उत्पादों पर ध्यान देना होगा ताकि इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ सके। जीविका के माध्यम से इसका विपणन करने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया। उन्होंने सरकारी सदर अस्पतालों में नशा मुक्ति केंद्रों मैं मरीजों के सही इलाज का भी निर्देश दिया। मद्य निषेध के कार्यान्वयन पर आयोजित इस समीक्षात्मक बैठक में जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष, पुलिस अधीक्षक अमितेश कुमार के अलावा उप विकास आयुक्त अभिलाषा शर्मा, अपर समाहर्ता शत्रुंजय कुमार मिश्रा, मद्य निषेध अधीक्षक विकेश कुमार, वरीय उप समाहर्ता चंदन कुमार आदि ने भी भाग लिया।

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