अभियंता दिवस पर मना एम विश्वश्वरैया का जन्म दिन

विश्वेश्वरैया समय के बहुत पाबंद थे, सीख लेने की जरुरत - प्रवीण सिन्हा, कार्यपालक अभियंता

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अभियंता दिवस पर मना एम विश्वश्वरैया का जन्म दिन

विश्वेश्वरैया समय के बहुत पाबंद थे, सीख लेने की जरुरत – प्रवीण सिन्हा, कार्यपालक अभियंता

अशोक वर्मा ने सस्वर गीत गाकर श्रोताओं का मंत्र मुग्ध किया 

ANA/Sahil Anand

उदाकिशुनगंज। ग्रामीण कार्य प्रमंडल के कार्य विभाग कार्यालय में अभियंता दिवस के अवसर पर एम. विश्वेश्वरैया की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनका जन्म दिन मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यपालक अभियंता प्रवीण कुमार सिन्हा ने की। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कार्यपालक अभियंता ने कहा एम विश्वश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ था, जो आज कर्नाटका राज्य बन गया है। इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थी। जब विश्वेश्वरैया 15 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। चिकबल्लापुर से इन्होंने प्राइमरी स्कूल की पढाई पूरी की, और आगे की पढाई के लिए वे बैंग्लोर चले गए। 1881 में विश्वेश्वरैया ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंग्लोर से बीए की परीक्षा पास की। इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में इंजीनियरिंग के लिए दाखिला लिया।1883 में LCE और FCE एग्जाम में उनका पहला स्थान आया। (ये परीक्षा आज के समय BE की तरह है) । मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैयाइंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का ऑफर आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला। एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किये। उन्होंने सिन्धु नदी से पानी की सप्लाई सुक्कुर गाँव तक करवाई, साथ ही एक नई सिंचाई प्रणाली ‘ब्लाक सिस्टम’ को शुरू किया। उन्होंने बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाए, ताकि बाँध के पानी के प्रवाह को आसानी से रोका जा सके। उन्होंने मैसूर में कृष्णराज सागर बांध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे बहुत से और कार्य विश्वेश्वरैया ने किये, जिसकी लिस्ट अंतहीन है। 1903 में पुणे के खड़कवासला जलाशय में बाँध बनवाया। इसके दरवाजे ऐसे थे जो बाढ़ के दबाब को भी झेल सकते थे, और इससे बाँध को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता था। इस बांध की सफलता के बाद ग्वालियर में तिगरा बांध एवं कर्नाटक के मैसूर में कृष्णा राजा सागरा (KRS) का निर्माण किया गया। कावेरी नदी पर बना कृष्णा राजा सागरा को विश्वेश्वरैया ने अपनी देख रेख में बनवाया था, इसके बाद इस बांध का उद्घाटन हुआ। जब ये बांध का निर्माण हो रहा था, तब एशिया में यह सबसे बड़ा जलाशय था।1906-07 में भारत सरकार ने उन्हें जल आपूर्ति और जल निकासी व्यवस्था की पढाई के लिए ‘अदेन’ भेजा। उनके द्वारा बनाये गए प्रोजेक्ट को अदेन में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया। हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय विश्वेश्वरैया जी को ही जाता है। उन्होंने वहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की, जिसके बाद समस्त भारत में उनका नाम हो गया। उन्होंने समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की रक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।सहायक अभियंता मनोज कुमार ने कहा विश्वेश्वरैया को मॉडर्न मैसूर स्टेट का पिता कहा जाता था। इन्होंने जब मैसूर सरकार के साथ काम किया, तब उन्होंने वहां मैसूर साबुन फैक्ट्री, परजीवी प्रयोगशाला, मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, श्री जयचमराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान, बैंगलोर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग की स्थापना करवाई। इसके साथ ही और भी अन्य शैक्षिणक संस्थान एवं फैक्ट्री की भी स्थापना की गई। सहायक अभियंता भारत भूषण भारती ने कहा विश्वेश्वरैया ने तिरुमला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण के लिए योजना को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एम् विश्वेश्वरैया जी बहुत साधारण तरह के इन्सान थे। जो एक आदर्शवादी, अनुशासन वाले व्यक्ति थे। वे शुद्ध शाकाहारी और नशा से बहुत दूर रहते थे।विश्वेश्वरैया जी समय के बहुत पाबंद थे, वे एक मिनट भी कहीं लेट नहीं होते थे। वे हमेशा साफ सुथरे कपड़ों में रहते थे। उनसे मिलने के बाद उनके पहनावे से लोग जरुर प्रभावित होते थे। सहायक अभियंता अनन्त कुमार ने कहा विश्वेश्वरैय जी हर काम को परफेक्शन के साथ करते थे। यहाँ तक की भाषण देने से पहले वे उसे लिखते और कई बार उसका अभ्यास भी करते थे। वे एकदम फिट रहने वाले इन्सान थे। सहायक अभियंता मुरलीधर यादव ने कहा विश्वेश्वरैया जी 92 साल की उम्र में भी बिना किसी के सहारे के चलते थे, और सामाजिक तौर पर एक्टिव भी थे। उनके लिए काम ही पूजा था। अपने काम से उन्हें बहुत लगाव था। उनके द्वारा शुरू की गई बहुत सी परियोजनाओं के कारण भारत आज गर्व महसूस करता है, उनको अगर अपने काम के प्रति इतना दृढ विश्वास एवं इक्छा शक्ति नहीं होती तो आज भारत इतना विकास नहीं कर पाता।सहायक अभियंता काश्यप ने कहा भारत में उस ब्रिटिश राज्य था, तब भी विश्वेश्वरैया जी ने अपने काम के बीच में इसे बाधा नहीं बनने दिया, उन्होंने भारत के विकास में आने वाली हर रुकावट को अपने सामने से दूर किया था। कार्यपालक अभियंता प्रवीण कुमार सिन्हा के विशेष अनुरोध पर अशोक कुमार वर्मा ने सस्वर गीत गाकर श्रोताओं का मंत्र मुग्ध कर दिया। अपने अपने विचार व्यक्त करने वालों में प्रमुख थे कनीय अभियंता पंकज कुमार, रवीश रंजन, जय शंकर प्रसाद, शेखर सुमन, सन्तोष कुमार, एकाउंटेंट अजीत कुमार, अकाउंट्स क्लर्क अशोक कुमार वर्मा, कंप्यूटर ऑपरेटर जय प्रकाश मंडल आदि। उक्त अवसर पर कार्यालय कर्मियों में जमाल, तृप्ति नारायण चौधरी, बुचन तथा संवेदकों में अमित कुमार, संध्या सौरभ, एच एस मेहता तथा कृष्ण कुमार आदि भी मौजूद थे।

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