खाद की कालाबाजारी व कृत्रिम कमी को करें दूर, स्टॉक पर्याप्त – मोo राशिद आलम, अपर समाहर्ता

नैनो यूरिया लेने को नहीं करें बाध्य - कृष्णा यादव, जिप अध्यक्ष

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
Listen to this article

खाद की कालाबाजारी व कृत्रिम कमी को करें दूर, स्टॉक पर्याप्त – मोo राशिद आलम, अपर समाहर्ता

नैनो यूरिया लेने को नहीं करें बाध्य – कृष्णा यादव, जिप अध्यक्ष

ANA/Indu Prabha

खगड़िया। विधायक (बेलदौर) पन्नालाल सिंह पटेल, जिला परिषद अध्यक्ष कृष्णा यादव एवं अपर समाहर्ता मोहम्मद राशिद आलम की संयुक्त अध्यक्षता में जिला स्तरीय उर्वरक निगरानी समिति एवं फसल अवशेष प्रबंधन पर बैठक समाहरणालय सभाकक्ष में आयोजित की गई। निगरानी समिति की बैठक में समीक्षा के क्रम में अपर समाहर्ता ने निर्देश दिया कि अमानक नमूनों के उर्वरकों की बिक्री पर रोक लगाते हुए इन्हें बाजार से हटा लेना है एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई अपेक्षित है। विधायक बेलदौर और जिला परिषद अध्यक्षा ने अमानत नमूने से संबंधित उर्वरक विक्रेताओं पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अपर समाहर्ता ने निर्देश दिया कि खाद की कालाबाजारी, कृत्रिम कमी और इसकी गैर कानूनी बिक्री पर रोक लगाने के लिए कृषि विभाग के पदाधिकारी सतत भ्रमणशील रहें। कृषि समन्वयकों को प्रखंड स्तरीय उर्वरक इंस्पेक्टर बनाया गया है। इन्हें सक्रिय रूप से उर्वरक के निर्धारित कीमत पर वितरण पर निगरानी रखनी होगी। जिला परिषद अध्यक्ष ने कहा कि यूरिया के साथ नैनो यूरिया की बिक्री अनिवार्य रूप से नहीं की जाए। नैनो यूरिया को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक करने का प्रयास किया जाए एवं उन्हें स्वेच्छा से नैनो यूरिया खरीदने के लिए प्रेरित किया जाय। निगरानी समिति की बैठक में खगड़िया में रबी मौसम में उर्वरक की आवश्यकता और उपलब्धता की समीक्षा की गई। समीक्षा के क्रम में पाया गया कि जिले में पर्याप्त मात्रा में आवश्यक उर्वरक उपलब्ध हैं। निदेश दिया गया कि उर्वरक की उपलब्धता सभी प्रखंडों में मांग के अनुरूप सुनिश्चित कराया जाए। जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि थोक एवं खुदरा विक्रेता के पास पर्याप्त उर्वरक स्टॉक में उपलब्ध है। रबी फसलों के बुवाई के समय आवश्यक उर्वरक यथा डीएपी, एनपीके, अमोनियम फास्फेट एवं सिंगल सुपर फास्फेट की आवश्यकता का आंकलन कर लिया गया है एवं इसकी कमी नहीं है। विधायक, बेलदौर पन्ना लाल सिंह पटेल ने सभी उर्वरक कंपनियों और उनके थोक व खुदरा विक्रेताओं को भारत सरकार द्वारा निर्धारित उर्वरकों के अधिकतम खुदरा मूल्य पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत उर्वरकों की बिक्री करने का निर्देश दिया। अपर समाहर्ता ने स्पष्ट निर्देश दिया कि खगड़िया जिला में जैविक उर्वरक के उपयोग को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। उपलब्ध उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर बल देना होगा। कोई उर्वरक विक्रेता अगर अधिक मूल्य पर उर्वरकों की बिक्री करता पाया जाए तो, उस पर निश्चित रूप से कार्रवाई होनी चाहिए। जिला उर्वरक समिति की बैठक के उपरांत फसल अवशेष प्रबंधन की बैठक संपन्न हुई। जिला परिषद अध्यक्ष ने फसलों के अवशेष को खेतों में ना जलाने हेतु किसानों के बीच जागरूकता फैलाने तथा फसलों के अवशेष को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर आपसी समन्वय स्थापित करते हुए किसानों के बीच जागरूकता उत्पन्न करने का कार्य करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इसका व्यापक प्रचार प्रसार किसानों के बीच करवाया जाए। अपर समाहर्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा भी फसल अवशेष प्रबंधन की नियमित समीक्षा की जा रही है। खेतों में कृषि अवशेष या पराली जलाते पाए जाने वाले किसानों को 3 साल तक कृषि विभाग के लाभकारी योजनाओं से वंचित करने के लिए उनके रजिस्ट्रेशन नंबर को ब्लॉक किया जा रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं। साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से हमारी मिट्टी में कम है, वह भी जलकर नष्ट हो जाता है, फलस्वरुप मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। उन्होंने कहा कि पुआल जलाने से मानव स्वास्थ्य को भी काफी नुकसान पहुंचता है। सांस लेने में तकलीफ,आंखों में जलन, नाक में तकलीफ,गले की समस्या आदि उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि एक टन पुआल को जलाने की बजाय उसे मिट्टी में मिलाने से आवश्यक पोषक तत्व धरती को प्राप्त होता है, जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। अपर समाहर्ता ने कहा कि कृषि विभाग की ओर से किसानों को अनुदान पर कई कृषि यंत्र उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि किसान खेतों में फसल अवशेष को ना जलाकर उसे यंत्र द्वारा खाद के रूप में परिवर्तित कर उपयोग कर सकें। जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि पुआल नहीं जलाकर उसका प्रबंधन करने में उपयोगी कृषि यंत्र- स्ट्राॅ बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड- कम – फर्टिलाइजर ड्रिल, रीपर-कम- बाईंडर, स्ट्राॅ रीपर, रोटरी मल्चर इत्यादि यंत्रों पर अनुदान की राशि बढ़ा दी गई है।  अपर समाहर्ता ने निर्देश दिया कि किसानों को इस बात के लिए प्रेरित किया जाए कि यदि फसल की कटनी हार्वेस्टर से की गई हो, तो खेत में फसलों के अवशेष पुआल, भूसा आदि को खेत में जलाने के बदले उसमें वर्मी कंपोस्ट बनाएं या मिट्टी में मिलायें। मिट्टी एवं उसकी उर्वरा शक्ति को बचाया जा सकता है। सभी प्रखंड प्रमुखों से आग्रह किया गया कि जनप्रतिनिधियों से बातचीत कर फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में जागरूकता फैलाएं एवं किसानों को फसल अवशेष एवं पराली जलाने से रोकें। उर्वरक निगरानी समिति की बैठक एवं अपशिष्ट प्रबंधन की बैठक में सभी प्रखंड प्रमुख, जिला कृषि पदाधिकारी शैलेश कुमार, सभी उर्वरक कंपनियों के क्षेत्रीय पदाधिकारी, जिले के थोक एवं खुदरा उर्वरक विक्रेता सहित सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी शामिल हुए।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

The specified carousel id does not exist.


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

How Is My Site?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129