डीआरएम विवेक भूषण सूद ने स्टेशन परिसर का किया निरीक्षण, दिए आवश्यक निर्देश

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डीआरएम विवेक भूषण सूद ने स्टेशन परिसर का किया निरीक्षण, दिए आवश्यक निर्देश

मीडिया के समक्ष हकीकत बयां किया रेल यात्री, अवैध वेंडरों की सच्चाई

ANA/Arvind Verma

खगड़िया। रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या एक पर निरीक्षण के दौरान सोनपुर के डी आर एम विवेक भूषण सूद ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को कई आवश्यक निर्देश दिए। रेल यात्रियों के लिए बने पेय जल बूथ एवं उसके इर्द गिर्द प्लेटफॉर्म पर गिरे पानी उसपर दिए गए ब्लीचिंग पाउडर अजीब लग रहा था। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। वैसे, स्टेशन परिसर की साफ़ सफ़ाई तो की गई थी, सिर्फ़ डीआरएम को दिखाने के लिए। प्लेटफॉर्म पर अन्य दिनों की तरह ज्यादा भीड़ नहीं दिखी। हां, अपने अपने ड्रेस कोड में अवश्य दिखे टिकट कलेक्टरों की फ़ौज। दूसरी तरफ़ रेलवे सुरक्षा बल, खगड़िया के इंस्पेक्टर अरविन्द राम स्टेशन परिसर में सुरक्षा को लेकर निरंतर चल रही कार्रवाई से डीआरएम को अवगत करते रहे। ये तो हर रेल यात्रियों को स्टेशन की व्यापक रूप से साफ़ सफ़ाई को देखकर ही अंदाजा लग जाता है कि कोई न कोई रेल के बड़े अधिकारी स्टेशन पर जरुर आयेंगे और उनके जाने के बाद फिर वही स्थिति हो जाएगी जैसी पहली थी। एक रेल यात्री मोo मकसूद ने मीडिया से कहा मीडिया भैया, चाहे जो हो रेल अधिकारियों के विजिट करने से कम से कम स्टेशन चकाचक तो हो जाता है। हम तो चाहेंगे कि कोई न कोई रेल अधिकारी हर दो तीन दिन पर स्टेशन पर निरीक्षण के लिए आते रहें और इस बहाने रेल यात्रियों को स्टेशन का चकाचक दृश्य देखने को मिलता रहे और अवैध वेंडरों को नहीं देख सकें। डीआरएम को भी पता है निरीक्षण के दिन और निरीक्षण के बाद के दिनों के बारे में। बेचारे रेल के उच्चाधिकारी कर ही क्या सकते हैं ? रही बात, स्थानीय रेल कर्मचारियों की वो तो अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए हमेशा समझौतावादी बन कर अपनी अपनी ड्यूटी का निर्वाह मात्र कर रहे हैं। स्टेशन पर स्टेशन प्रबंधक, टीटी, स्टेशन मास्टर, आरपीएफ, जीआरपी, आई ओ डब्लू, पी डब्ल्यू आई, स्वच्छता निरीक्षक आदि पदस्थापित हैं। बावजूद इसके रेलवे के निर्धारित मापदंडों के मुताबिक कार्य नहीं हो पाता है। और तो और रेलवे के अधिकृत बिक्री काउंटर पर अनधिकृत सामग्रियां धड़ल्ले से बिक रही है। अवैध वेंडर चाय, नाश्ता, फल, बदाम आदि खाद्य पदार्थों की बिक्री मजे में कर रहे होते हैं। ऐसे अवैध वेंडरों से पूछने पर पता चला कि हमलोग फ्री में नहीं स्टेशन पर खाद्य पदार्थ बेचते हैं,इसके एवज में हर रोज टैक्स देना पड़ता है पुलिस और रेल के बाबुओं को। अब क्या, सच है ? क्या झूठ है ? ये तो बारीकी से जांच के बाद ही पता चलेगा।

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