संजीवनी डाटा एंट्री ऑपरेटरों का अनिश्चितकालीन हड़ताल,  स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से बेहाल

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संजीवनी डाटा एंट्री ऑपरेटरों का अनिश्चितकालीन हड़ताल,  स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से बेहाल

ANA/A.K.VERMA

खगड़िया। बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के आह्वान पर खगड़िया जिला स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत कार्यरत सभी संजीवनी डाटा एंट्री ऑपरेटरों द्वारा मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये है। जिसका व्यापक असर पहले ही दिन देखने को मिल गया। स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से चरमरा गई है। दूर-दराज से आये मरीजों को नये पूर्जे कटवाने के लिए इधर-उधर काफी भटकना पड़ा। हालाँकि अस्पताल प्रशासन ने  काफी देर बाद मैनुवल पुर्जा कटवाने की व्यवस्था  की गई  जो ना काफी था। इसी कड़ी में आज खगड़िया सदर अस्पताल के ओपीडी के समझ प्रदर्शन भी किया गया और कहा कि जब तक उनकी 5 सूत्री मांगे पूरी नहीं हो जाती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा। सदर अस्पताल सहित जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अनुमंडलीय अस्पताल, शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र समेत स्वास्थ्य विभाग के सभी संस्थानों में डाटा इंट्री आपरेटरों ने  काम का बहिष्कार किया और हड़ताल में शामिल हुए।

इनकी मांगों में प्रमुख है –

  1. पूर्व से कार्यरत आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से डाटा एंट्री ऑपरेटरों को बिना किसी शर्त के उनके अनुभव के आधार पर जिला स्वास्थ्य समिति या राज्य स्वास्थ्य समिति में समायोजित किया जाये
  2. आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर की सेवा 60 साल बरकरार रखा जाये।
  3. डाटा एंट्री ऑपरेटरों के बकाए वेतन का भुगतान अविलंब किया जाये।
  4. माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय के फैसले तथा संविधान में प्रतिपादित नियमों के अनुरूप समान कार्य के बदले समान वेतन के सिद्धांत के अनुरूप डाटा एंट्री ऑपरेटर को आशुलिपिक के देय वेतनमान एवं सुविधा को लागू किया जाये।
  5. ठेका उन्मूलन अधिनियम 1970 के तहत अस्थाई प्रवृत्ति के विभाग एवं स्थाई प्रवृत्ति के कार्य होने के कारण सभी डाटा इंट्री ऑपरेटरों को सरकारी सेवक घोषित किया जाये।

धरना पर बैठे डाटा ऑपरेटरों ने बताया है कि राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक बिहार पटना के द्वारा निर्गत पत्र से हम लोगों का भविष्य अंधकारमय में चला गया है। साथ ही मालूम हुआ है कि माह के अंत तक आउटसोर्सिंग के तहत एजेन्सी का चयन डाटा सेंटर तथा संजीवनी में डाटा ऑपरेटर देने हेतु किया जा रहा है , जिस कारण हम लोगों पर किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के द्वारा संचालित आउटसोर्सिंग डाटा एंट्री ऑपरेटर संघर्ष समिति के आह्वान पर हम सभी धरना पर बैठे हुए हैं।

संजीवनी डाटा ऑपरेटरों ने कहा है कि पांच वर्ष से हम सभी लोग विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत हैं। एनजीओ द्वारा डाटा ऑपरेटरों का शोषण किया जा रहा है। जिला से बिल 11 हजार का भेजा जाता है, लेकिन एनजीओ द्वारा कटौती कर आठ हजार की राशि ही खाते में भेजा जाता है। जो सभी आउटसोर्सिंग डाटा ऑपरेटरों के साथ नाइंसाफी है।

सभी ने एक स्वर में कहा कि मांगे पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी। संघ ने अपील की है कि हम सभी डाटा ऑपरेटरों के संदर्भ में विभाग अपने स्तर से सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए अग्रसर कार्रवाई करने की कृपा की जाये।

धरना-प्रदर्शन में प्रवीण कुमार-अध्यक्ष, मनोरंजन कुमार-सचिव, अनमोल कुमार, कमलकिशोर कुमार, सौरभ कुमार, विकाश कुमार, सागर कुमार, राजेश कुमार, मुकुन्द रंजन, वेद प्रकाश, मनोहर कुमार, सुमन कुमार, ऋषि कुमार, गौतम कुमार, गुजन कुमारी (डाटा सेन्टर, गोगरी), पवन कुमार (डाटा सेन्टर, चौथम) सौरभ कुमार (डाटा सेन्टर, बेलदौर), सुधीर कुमार, राकेश कुमार, संजीव कुमार, रणवीर कुमार, विकाश कुमार-2, अजीत कुमार, सुबोध कुमार गोविन्द कुमार, राजेश कुमार (डाटा सेन्टर, एपीएचसी), मिथुन कुमार, शैलेन्द्र कुमार (डाटा सेन्टर, खगड़िया) आदि ने भाग लिया।

मालूम हो कि बिहार के सभी सरकारी अस्पतालों में संजीवनी के अंतर्गत डाटा ऑपरेटरो के साथ शोषण तथा अत्याचार कई वर्षो से किया जा रहा है। सरकार के द्वारा इस ऑपरेटरों को कुछ एजेंसी द्वारा संचालित किया जाता है । प्रत्येक ऑपरेटर 11000 हजार रुपये वेतन पर रखा है 3000 हजार रुपये वेतन से काटकर 8000 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा था परंतु अब 1600 रुपये P.F. के नाम पर और भी काटकर दिया जा रहा है एजेंसी मात्र 6400 रुपये ही दे रहा है वो भी बिना किसी P.F. number के ही।  एजेंसी ऑपरेटरों की मेहनत की कमाई को सरकार के सामने से ले जा रही है और इसके खिलाफ पूर्व में भी संघ द्वारा आवाज उठाने की कोशिश कई बार की जा चुकी है बदले में एजेंसी उन्हें निकालने तक की धमकी भी दे चुकी है।

 

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