केक काटकर मनाया गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

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केक काटकर मनाया गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

ANA/SONU VERMA

खगड़िया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बलुआही स्थित प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना केंद्र खगड़िया में छात्राओं ने केक काटकर मनाई। केंद्र समन्यवक ई रविकांत चौरसिया ने सभी छात्राओं को महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में 28 फरवरी 1909 को सबसे पहला महिला दिवस मनाया गया था।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक मजदूर आंदोलन से उपजा। इसकी नींव 1908 में उस समय पड़ी जब 1908 में हजारों महिलाओं ने न्यूयॉर्क में मार्च निकालकर नौकरी में घंटे कम करने की मांग की। इसके अलावा उनकी मांग थी कि उन्हें बेहतर वेतन दिया जाए और मतदान करने का अधिकार भी दिया जाए। एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमरीका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया। 

महिला दिवस मनाने का आइडिया मार्क्सवादी चिंतक और कार्यकर्ता क्लारा जेटकिन का था। 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी औरतों की एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई। इसी कॉन्फ्रेंस में पहली बार उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था। उस कॉन्फ्रेंस में 17 देशों की तकरीबन 100 महिलाएं मौजूद थीं। उन सभी ने क्लारा जेटकिन के इस सुझाव का समर्थन किया और महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिला। उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनों की तारीखों में कुछ अंतर है। जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखिरी इतवार 23 फरवरी को था, जबकि ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। इस समय पूरी दुनिया में (यहां तक रूस में भी) ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है, इसीलिए 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

छात्रा ज्योति कुमारी ने बताई हमारे समाज मे आज भी महिलाएं अपनी अधिकार से वंचित है लगातार उनके ऊपर अत्याचार, शोषण – दोहन जारी है।महिलाओं को भी पुरुषों की तरह समान अधिकार मिलना चाहिए एवं लड़कियों के साथ हो रहे बलात्कर, बेटियों को माँ के कोख में मार देनें, दहेज के लिए पत्नियों को प्रताड़ित करने जैसी घटनाएं पर रोक लगें एवं समाज में जागरूकता अभियान की जरूरत है, इसके लिए समाज के हर व्यक्ति को आगे आना चाहिए।

प्लेसमेंट ऑफिसर सुजीता कुमारी ने छात्राओं संबोधित करते हुए कही आज हम सब को सभी परेशानियों को चुनौती के रूप में सकारात्मक सोच नई ऊर्जा की साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए। क्योंकि त्याग, तपस्या, संघर्ष, ममता की नाम ही नारी है जो कि दूसरों को बनाने की लिए खुद को मिटा देती है।इस मौके पर ट्रेनर भरत भूषण राम,मौसम कुमारी, पूनम कुमारी, अमीषा सिंह, नीतू कुमारी, गीतांजलि, प्रतिभा, प्रियंका, समता, सीमा, काजल, निधि, संजीव, आयुष, पप्पू, रविश, अमरजीत छात्र एवं छात्राएं मौजूद थे।

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