चुटकुलानंद का विस्फोटक चटपटा रिपोर्ट, खगड़िया लोकसभा चुनाव क्षेत्र का 

जब तक चमचा खायेगा, तब तक ही गाएगा - चटकुलानंद

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चुटकुलानंद का विस्फोटक चटपटा रिपोर्ट, खगड़िया लोकसभा चुनाव क्षेत्र का 

जब तक चमचा खायेगा, तब तक ही गाएगा – चटकुलानंद

हर हाल में सही सर्वे रिपोर्ट चाहिए – मैडम, एडिटर

ANA/X-RAY 

खगड़िया। चुटकुलानंद जी, आप इतने दिनों से कहां गायब हो गए थे ? मैडम जी, आप जान ही रही हैं, लोक सभा चुनाव होने वाला है। तो क्या हुआ ? हम भी अपने अखबार के लिए चुपचाप सर्वे करने निकल गए थे। तो क्या देखे ? क्या सुने ? मत कहिए मैडम जी, अजब गजब बात सुने और देखे। चुटकुलानन्द जी, पहेली मत बुझाईये, साफ़ साफ़ कहिए। आखिर क्या, क्या देखे ? क्या क्या सुने ? हमारे पाठकों को बताइए। कहीं आप भी धनवान प्रत्याशियों की खोज में तो नहीं थे। मलाई खाने के चक्कर में ? जी नहीं मैडम! मैं आपका नमक खाता हूं, नमक हरामी नहीं कर सकता। न तो मैं जुमलेबाज हूं और न ही पलटू बाबा। न गिरगिट की तरह रंग बदलता हूं। और न ही सिर्फ़ अपने फायदे के लिए इधर से उधर जा रहा हूं। ठीक है, ठीक है आप बहुत ईमानदार और बफादार चौकीदार हैं। अब ज्यादा बाउंड्री मत बांधिए सीधे सीधे अपनी सर्वे रिपोर्ट दीजिए। जानय छिए मैडम जी, खगड़िया में लोजपा वाला वर्तमान सांसद के अबकी बार टिकटे नय मिललै। बेचारा छटपटाई कय रह गेलै। लोजपा दो भाग में बंट गेलै। एगो मंत्री वाला दोसर बिना मंत्री वाला। मंत्री वाला पार्टी में रहते सांसद खूब मलाई खैलक। बिना मंत्री वाला पार्टी वाला कय खाता में आए गेलै खगड़िया सीट। अब त सांसद साहेब मंत्री वाला पार्टी कय छोड़ बिना मंत्री वाला पार्टी कय सर्वे सर्वा कय दरबारी शुरु करलका और पार्टी कय सहयोग करै कय वादा करला पर भी उनका गद्दार कय तगमा मिल्लैय। बेचारा नाक रगड़ते रह गेलखिन, नहियें सय नहियें टिकट मिललै। जानै छिएये मैडम जी, बिना मंत्री वाला पार्टी कय भागलपुर कय एगो बड़का सोना व्यापरी कय खगड़िया से टिकट मिल गेलै। चुटकुलानंद जी, क्या बकते हो ?खगड़िया में कोय कर्मठ और सुयोग्य नेता नहीं था पार्टी का ? मैडम जी, आप लोग अभी भी पुराने ढर्रे और ईमानदारी पर चल रहे हैं। जमाना डिजिटल इंडिया का है। सोशल मिडिया का है। इवेंट मैनेजमेंट का है। जमाना मादरीवाला बनने का है। झूठ और ठग का है। जमाना दिखावे का है। पार्टी चलाने के लिए बहुत ज्यादा धन एकत्रित करने का है। जो जितना बड़ा दाता बना, उसको उतना बड़ा पद मिला। चुटकुलानंद जी, इसका मतलब है कोई भी पार्टी का टिकट लेने के लिए कर्मठ और लगनशील कार्यकर्ता की नहीं बल्कि जो जितना बड़ा दाता, वो हमारा सच्चा पार्टी भक्त और सिपाही बन रहा है। जी, मैडम जी अब आप समझ गई हैं। नहीं, नहीं, अभी भी मेरे समझ से परे है। पहले तो कोई भी पार्टी, अपने पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता को ही टिकट देती थी और चुनाव लड़ने के लिए पर्चा, पोस्टर और रुपया भी देती थी। अब कौन सी हवा बह गई है ? मैडम जी, पुराना ज़माना में ऐसा होता था। अब मंहगाई का जमाना है। अब, पार्टी को ही धन देकर टिकट लिया जाता है। तभी तो खगड़िया में एक बड़ा व्यापारी टिकट लपक लिया। फिल्ड में घूमना शुरू कर दिया। भाड़े के चमचे बेलचे भी उनको मिल गए। उनकी जीत भी पक्की कराने का सब्ज़ बाग दिखा रहे हैं। उनको पता ही नहीं है जब तक चमचा खाएगा, तब तक ही गाएगा। चुटकुलानंद जी, इससे हमें क्या लेना देना है। आप मलाई के चक्कर में नहीं पड़िएगा। हमें सही सही सर्वे रिपोर्ट चाहिए हर हाल में। ठीक है मैडम जी, अब हम चलते हैं। फिर अपना मूवमेंट शुरु करते हैं। जैसे जैसे नई नई ख़बर मिलेगी मैं यथा समय देता रहूंगा। जय हिन्द, जय बिहार। फिर मिलेंगे … …।

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